देहरादून, एचआईवी को लेकर जनजागरूकता अभियान चलाने के बाद भी मरीजों की संख्या में ज्यादा कमी नहीं आई है।
अप्रैल 2018 से अक्तूबर 2018 तक के आंकड़े बताते हैं कि देहरादून में 210 सबसे अधिक एचआईवी पॉजिटिव मिले हैं। सात माह के भीतर प्रदेश के 13 जिलों में 503 एचआईवी पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं। नाको ने इस बार ‘नो योर स्टेटस’ की थीम दी है। थीम के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जांच कराने को कहा गया है। जांच में अगर एचआईवी पॉजिटिव की पुष्टि होती है तो दवाओं के माध्यम से वायरस को दबाया जा सके और मरीज लंबा एवं बेहतर जीवन जी सके।
वर्ष 2012-13 में 889, 13-14 में 865, 14-15 में 858, 15-16 में 822, 16-17 में 828, 17-18 में 958 मरीज 13 जिलों में सामने आए थे। अपर निदेशक उत्तराखंड एड्स नियंत्रण सोसायटी डॉ. विनोद टोलिया ने बताया कि लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। मरीज अगर सामने आते हैं तो उन्हें दवाएं देकर वायरस का प्रभाव कम करने के साथ ही बेहतर जीवन देने का प्रयास किया जा रहा है। कहा कि अगर एचआईवी पॉजिटिव आता है तो उसकी जानकारी दें और तत्काल दवा देकर इलाज शुरू करें।
अप्रैल 2018 से अक्तूबर 2018 तक के आंकड़े बताते हैं कि देहरादून में 210 सबसे अधिक एचआईवी पॉजिटिव मिले हैं। सात माह के भीतर प्रदेश के 13 जिलों में 503 एचआईवी पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं। नाको ने इस बार ‘नो योर स्टेटस’ की थीम दी है। थीम के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जांच कराने को कहा गया है। जांच में अगर एचआईवी पॉजिटिव की पुष्टि होती है तो दवाओं के माध्यम से वायरस को दबाया जा सके और मरीज लंबा एवं बेहतर जीवन जी सके।
वर्ष 2012-13 में 889, 13-14 में 865, 14-15 में 858, 15-16 में 822, 16-17 में 828, 17-18 में 958 मरीज 13 जिलों में सामने आए थे। अपर निदेशक उत्तराखंड एड्स नियंत्रण सोसायटी डॉ. विनोद टोलिया ने बताया कि लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। मरीज अगर सामने आते हैं तो उन्हें दवाएं देकर वायरस का प्रभाव कम करने के साथ ही बेहतर जीवन देने का प्रयास किया जा रहा है। कहा कि अगर एचआईवी पॉजिटिव आता है तो उसकी जानकारी दें और तत्काल दवा देकर इलाज शुरू करें।