रामनगर । देवभूमि खबर।। रामनगर में एक अनोखी पहल की जा रही है, यहां जनसहयोग से भारत का पहला और सबसे बड़ा फाइकस गार्डन स्थापित किया जा रहा है। जिसमें एक हजार से ज्यादा फाइकस प्रजाति के पौधे लगाये जा रहे हैं।
बता दें कि फाइकस प्रजाति के पेड़ फाइकस मोरेसी कुल के सदस्य हैं। जिनमें मुख्य रूप से पीपल, बरगद, पिलखन, बेडू, गुलर, तिमल जैसे वृक्ष आते हैं। केवल फाइकस प्रजाति ही 24 घंटों में से 16 घंटे ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। साढ़े चार सौ प्रकार के कीट पतंगे, पक्षी व अन्य जंतु इसके भोजन और आवास पर निर्भर रहते हैं। मानव जीवन में फाइकस का धार्मिक महत्व तो है ही साथ ही इनका आयुर्वेद में भी अपना महत्व है। लेकिन जन सहयोग से इसको विकसित किया जा रहा है। यदि परिणाम ठीक रहे तो इसे पर्यटक स्थल भी बनाया जाएगा। यह बात दीगर है कि पौधों की व्यवस्था कल्पतरु के साथ वन अनुसंधान कर रहा है। इन्हें रोपने के लिए अब क्षेत्रीय लोग खुद आगे आने लगे हैं। कोसी नदी के किनारे फाइकस गार्डन स्थापित करने की मुहिम अब रंग लाने लगी है। इसका बीड़ा कल्पतरु वृक्षमित्र नाम की संस्था ने उठाया है। जिसमें अनेक संगठनों और स्कूली बच्चों ने अब तक छह सौ से ज्यादा पौध रोपे हैं। पौधों की देखभाल के लिए ट्री गार्ड भी लगाए जा रहे हैं। जिसका पूरा खर्च भी कल्पतरू संस्था ही उठाएगी। रामनगर वन प्रभाग ने कल्पतरु वृक्ष मित्र संगठन के साथ स्मृति वन के दो हेक्टेयर क्षेत्र को फाइकस गार्डन के रूप में विकसित करने का फैसला लिया है। राज्य बनने से पहले वन विभाग ने 27 जुलाई 1993 को 11 हेक्टेयर भूमि पर स्मृति वन की स्थापना की थी।
तब स्थानीय लोग अपने परिजनों की याद में यहां न केवल पौधरोपण किया करते थे बल्कि उनको वृक्ष के रूप में विकसित करने तक सींचते रहते थे। लेकिन बाद में अनदेखी के चलते स्मृति वन पूरी तरह से बेजान हो गया। कल्पतरू जुलाई माह में ही हरेला पर्व तक 1051 पौंधे रोपने जा रहा है। हरेले के दिन इस उद्यान का लाकार्पण होगा।