मंगलवार को सुबह ऑफिसियल बैठक होने के कारण 10:30 बजे कचहरी नहीं पहुंच पाया, जहां से जन संगठनों के देहरादून मेयर पद के उम्मीदवार श्री जगमोहन मेंहदीरत्ता का नामांकन जुलूस निकालना था। करीब डेढ़ घंटे बाद जब पहुंचा तो वे नामांकन भरने के लिए नगर निगम मुख्यालय में जा चुके थे। बाहर कुछ लोगों से मुलाकात हुई, जिनमें भाई जयदीप सकलानी और अंबुज शर्मा शामिल थे। कांग्रेस के हितैषी एक मित्र ने बताया कि आज वे मेहंदीरत्ता जी के लिए ही आए हैं।
जगमोहन मेहंदीरत्ता जी के बारे में सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि वे वास्तव में आम आदमी से जुड़े हुए एक  पुरोधा हैं। उत्तराखंड की धरती पर लड़ा गया कोई भी आंदोलन ऐसा नहीं जिसमें जगमोहन मेंहदीरत्ता ना रहे हों, वह चाहे मजदूरों- कर्मचारियों की लड़ाई हो, 1994 का उत्तराखंड आंदोलन हो या फिर आज के दौर में चल रहा गैरसैंण राजधानी का आंदोलन, हर जगह जगमोहन मेहंदीरत्ता आपको पहली पंक्ति में खड़े मिलेंगे। दरअसल वे एक खांटी पहाड़ी आदमी हैं।
आधी सदी से ज्यादा के जीवन में यह शायद तीसरा चुनाव है जिसे मैं दिल से लड़ रहा हूं, यानी कि मैं जिसमें किसी उम्मीदवार का दिल से समर्थन कर रहा हूं। इस चुनाव में अंतिम रूप से मैं यह भी तय करने वाला हूं कि वास्तव में इस देश का मतदाता किस हद तक ईमानदारी को पसंद करता है।
अगले 2 दिन यानी  24 और 25 अक्टूबर को मैं राजधानी गैरसैंण के लिए पिछले 14 दिन से चल रही जनसंवाद यात्रा में शामिल होने के लिए टिहरी और उत्तरकाशी जा रहा हूं। उसके बाद दिन का पूरा समय साथियों, मित्रों, जानकारों, दोस्तों  और रिश्तेदारों से मिलूंगा और कोशिश करूंगा कि वे एक ईमानदार व्यक्ति को शहर का मेयर बनाने के लिए अपना वोट दें।