हल्द्वानी, अटल आयुष्मान योजना को लेकर सरकार उत्साहित है। इसे विश्व की सबसे बड़ी योजना बताकर प्रचार कर रही है, मगर हकीकत यह है कि सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं नहीं हैं और निजी चिकित्सालयों ने योजना को लेकर मुंह मोड़ रखा है। चार महीने बाद भी अभी तक जिले के केवल छह निजी चिकित्सालयों ने ही योजना में पंजीकरण कराया है। इसमें से भी तीन सेंटर केवल आंखों के इलाज के लिए हैं।
जिले में 15 सरकारी अस्पताल हैं, जिनमें यह योजना चल रही है। अब इस योजना से जिले के ढाई लाख परिवारों को लाभ मिलना है। इसके लिए अस्पताल व संसाधनों की जरूरत है।
जिले में 150 निजी चिकित्सालय हैं, जहां इलाज मिल सकता है। इसके बावजूद निजी चिकित्सालय सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस तरह की स्थिति को लेकर पिछले सप्ताह डीएम वीके सुमन ने सभी निजी अस्पतालों के संचालकों की बैठक ली थी। सभी से योजना में शामिल होने के लिए कहा था, लेकिन इसके बाद भी निजी अस्पताल संचालक मानने को तैयार नहीं हैं। अब तक केवल विवेकानंद अस्पताल, सुबह अस्पताल, बांबे अस्पताल, दृष्टि आइ सेंटर के अलावा वेदांता आइ सेंटर व आइ क्यू सेंटर ने पंजीकरण कराया है।
जिले में 150 निजी चिकित्सालय हैं, जहां इलाज मिल सकता है। इसके बावजूद निजी चिकित्सालय सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस तरह की स्थिति को लेकर पिछले सप्ताह डीएम वीके सुमन ने सभी निजी अस्पतालों के संचालकों की बैठक ली थी। सभी से योजना में शामिल होने के लिए कहा था, लेकिन इसके बाद भी निजी अस्पताल संचालक मानने को तैयार नहीं हैं। अब तक केवल विवेकानंद अस्पताल, सुबह अस्पताल, बांबे अस्पताल, दृष्टि आइ सेंटर के अलावा वेदांता आइ सेंटर व आइ क्यू सेंटर ने पंजीकरण कराया है।