देहरादून, राज्य के चौथे विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों करारी हार का सामना करने के बाद नए सिरे से उभरने का प्रयास कर रही उत्तराखण्ड कांग्रेस को प्रदेश की राजधानी देहरादून में फिर झटका लगने की संभावनाएं बन रही है। इन दिनों राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार अगर मेयर पद के चुनाव में रजनी रावत ने इस बार अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया तो दून की सीट जीतना कांग्रेस के लिए दूर की कौड़ी होगा। रजनी रावत के चुनाव मैदान में होने से कांग्रेस के माथे पर बल पड़ गया है।
राज्य गठन के बाद मेयर पद के लिए दून में हुए चुनाव में महिला सीट होने के चलते कांग्रेस की महिला उम्मीदवार स्वर्गीय मनोरमा डोबरियाल शर्मा ने अपनी जीत दर्ज कराई थी। उसके बाद सीट सामान्य होने के बाद भाजपा दून के मेयर पद पर लगातार काबिज होती रही। पिछले दो निकाय चुनाव पूर्व भाजपा मेयर पद के प्रत्याशी के विरूद्ध कांग्रेस ने जो उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा था। उसे तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। क्योंकि मैडम रजनी रावत निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरी थी। जो कि दुसरे स्थान पर रही थी। उस समय भी राजनीतिक विशलेष्कों का यही मानना था कि कांग्रेस के वोट बैंक पर निर्दलीय उम्मीदवार रजनी रावत ने कब्जा जमा लिया था। उसके बाद राजनी रावत को कांग्रेस ने लाख अपने पाले में लाने का प्रयास किया। थोड़ी बहुत कामयाबी भी मिली पर कांग्रेस इसमें पूरी तरह से सफल होती नजर नही आयी। उसके बाद पिछले निकाय चुनाव में कांग्रेस ने मेयर पद के लिए सुर्यकांत धस्माना को उम्मीदवार के रूप में उतारा था। वहां पर मैडम रजनी रावत फिर से बसपा के बैनर तले कांग्रेस की कुंडली में आ गयी। जिसका सीधा लाभ भाजपा को मिला और विनोद चमोली दुसरी बार भारी मतो से विजय घोषित हुए। राज्य के चौथे विधानसभा चुनाव में दौरान कांग्रेस में अंदुरूनी कलह के चलते कई दिग्गज भाजपा में शामिल हो गए। जिससे कांग्रेस को गहरा झटका लगा। इतना ही नही कांग्रेस आज तक उस स्थिति से उभरने का प्रयास कर रही है। इसके बाद नए सिरे से पार्टी में जान फूंकने के लिए कांग्रेस की सारी उम्मीदें निकाय चुनाव पर टिकी हुई है। किन्तु प्रदेश की राजधानी देहरादून में कांग्रेस के मेयर पद कब्जाने के सपने के बीच में फिर मैडम रजनी रावत कुंडली मारकर बैठ गई है। जिससे कांग्रेस में खलबली मची हुई है। राजनीतिक गलियारों में फैल रही चर्चाओं के अनुसार वर्तमान में प्रचार के मामले में भी मैडम रजनी रावत ने कांग्रेस को पीछे छोड़ रखा है। इस चुनाव में कांग्रेस के मलिन बस्तियों में निवास करने वाले लोगों से भारी उम्मीदे थी। जिसपर भी मैडम रजनी रावत कुंडली मारकर बैठने के लिए संघर्ष कर रही है। चुनाव परिणाम किसके पक्ष में जाएगा। यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है। किन्तु मैडम रजनी रावत के चुनाव मैदान में होने से कांग्रेस के पसीने छूट रहे है।