देहरादून, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआइ) में आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय इंटरनेशनल बॉयोडायवर्सिटी कांग्रेस के शुभारंभ अवसर पर सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने कहा कि पहाड़ी राज्यों की हरियाली दुनिया के देशों के लिए ऑक्सीजन का काम कर रहे हैं। इस दिशा में और काम करने की जरूरत है, ताकि खतरे की जद से जैव विविधता को बचाया जा सके। इसके लिए रासायनिक खेती पर सौ फीसद पाबंदी लगानी होगी। तभी इसके सुखद परिणाम देखने को मिल सकते हैं। 

इस कार्यक्रम में देश और दुनिया के वैज्ञानिक, पर्यावरणविद, किसान और जैव विविधता पर काम करने वाले संगठन जुटे। इस मौके पर बॉयोडॉयवर्सिटी फॉर इकोलॉजिकल सिविलाइजेशन विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए सिक्किम के मुख्यमंत्री चामलिंग ने कहा कि जैव विविधता को बचाए रखने के लिए उनके राज्य ने कड़े फैसले लिए। इनका विरोध की परवाह किए बगैर सख्ती से कायदे-कानून लागू किए गए। आज स्थिति यह है कि जैव विविधता और ऑर्गेनिक खेती में सिक्किम दुनिया के लिए आइकन बन गया है। उन्होंने साफ कहा कि जीडीपी आधारित विकास की बजाय स्वस्थ आजीविका पर फोकस किया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि 20 सालों के भीतर राज्य का हर हिस्सा जैव विविधता से लहलहा गया। चामलिंग ने कहा कि जैव विविधता को बचाए रखने का काम एक दिन में संभव नहीं है। इसके लिए सरकार के साथ आम लोगों को भी सहयोग देना होगा। उन्होंने राज्य सरकार को जैव विविधता पर संयुक्त रूप में काम करने का न्योता दिया। इस मौके पर राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के पर्यावरण में बदलाव देश के लिए भी खतरे का संकेत है। यहां की जैव विविधता का असर पड़ोसी राज्य ही नहीं बल्कि देशभर को नफा-नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि धरती पर तेजी से बढ़ रही आबादी जैव विविधता के संतुलन को बिगाड़ने का काम कर रही है। ऐसे में 2050 को ध्यान में रखते हुए जैव विविधता पर काम करने की जरूरत है। सेमिनार की आयोजक नवधान्य संस्था की चेयरपर्सन वंदना शिवा ने कहा कि केदारनाथ हो या फिर केरल की तबाही। दोनों के लिए जैव विविधता का असंतुलन जिम्मेदार रहा है। जैव विविधता में मंत्री और मंत्रालय तक सीमित रहने की बजाए इसकी जिम्मेदारी आम नागरिकों को दी जानी चाहिए। इस मौके पर उत्तराखंड बॉयोडॉयवर्सिटी के अध्यक्ष डा.राकेश शाह ने अनियोजित विकास को जैव विविधता के लिए बड़ा खतरा बताया। कहा कि इससे जहां मौसम में बदलाव आ रहा है, वहीं इसका असर भी जैव विविधता में देखने को मिल रहा है। इस मौके पर एफआरआइ की निदेशक डा.सविता ने सेमिनार में शामिल हुए शिष्ट मंडल का स्वागत करते हुए जैव विविधता को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी। सेमिनार में आइसीएफआरई के निदेशक डा.एससी गैरोला, पूर्व विदेश सचिव श्याम शरण, प्रो.बिजू कुमार, डा.एमएस भंडारी, डा.शैलेश पांडेय, आरके मीना, आदि मौजूद रहे।