नौजवान भारत सभा,उत्तराखंड द्वारा भगतसिंह के जन्मदिवस के अवसर पर चलाये गए ‘भगतसिंह स्मृति दिवस’ के आज दूसरे और अंतिम दिन देहरादून के डी.ए.वी. डिग्री कॉलेज, डी.बी.एस. डिग्री कॉलेज और करनपुर मार्केट में व्यापक पर्चा वितरित करते हुए नुक्कड़ सभाएं की गयीं| शाम को डोईवाला के मुख्य चौराहे पर भगतसिंह की तस्वीर पर माल्यार्पण करके श्रद्धांजलि सभा की गयी|
श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए नौजवान भारत सभा के अपूर्व ने कहा कि, आज भगतसिंह को याद करना कोई रस्म अदायगी नहीं है बल्कि भगतसिंह ने जिन उद्देश्यों और सपनों को प्राप्त करने के लिए फाँसी के फंदे को हँसते-हँसते चूम लिया था वो उद्देश्य और सपने आज भी अधूरे हैं| उसको पूरा करने की जिम्मेदारी इतिहास ने आज के नौजवानों-मेहनतकशों के कन्धों पर डाली है| भगतसिंह का सपना हर पांच साल में होने वाले चुनावों से या छोटे-छोटे सुधारों की पैबन्दसाजी से नही बल्कि जनक्रांति की झंझावातों से ही पूरा हो सकता है|
भगतसिंह ने उसी समय कहा था कि, “इस समय हम नौजवानों से यह नहीं कह सकते कि वे बम और पिस्तौल उठायें। आज विद्यार्थियों के सामने इससे भी महत्त्वपूर्ण काम है। नौजवानों को क्रान्ति का यह सन्देश देश के कोने-कोने में पहुँचाना है, फ़ैक्ट्री -कारखानों के क्षेत्रों में, गन्दी बस्तियों और गाँवों की जर्जर झोपड़ियों में रहने वाले करोड़ों लोगों में इस क्रान्ति की अलख जगानी होगी जिससे आज़ादी आयेगी और तब एक मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य का शोषण असम्भव हो जायेगा।”
सभा को सम्बोधित करते हुए अश्विनी त्यागी ने कहा कि, आज़ादी के सत्तर सालों की नीतियों ने इस देश के मजदूरों-मेहनतकशों को तबाह-बर्बाद कर दिया है| इन दमनकारी नीतियों के ख़िलाफ़ देश की जनता एकजुट होकर कोई संघर्ष न करे इसके लिए शासकों ने जनता को जाति-धर्म के नाम पर बाँट कर उनके लाशों पर भी राजनीति कर रही हैं| देशी-विदेशी पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की सेवा और मुनाफ़े में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए ये किसी भी हद तक जनता का दमन करने को तैयार हैं| सभी मेहनतकशों को समझना होगा कि जब-तक वे अपने हक़-अधिकार के लिए वर्गीय एकजुटता नहीं बनायेंगे तब-तक वे देशी अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों और जाति-धर्म में बांटे जाने की राजनीति का शिकार होते रहेंगे|