देहरादून/सोनीपत, आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में महिलाओं में हृदय रोग उनकी मृत्यु दर बढऩे का पहला कारण है। भारत में पिछले दो दशकों में महिलाओं में दिल के दौरे पडऩे के मामलों में लगातार वृद्धि देखी गई है, खासतौर पर संतानोत्पत्ति की आयु में। अनुमानों से पता चलता है कि भारत में हर साल होने वाली एक करोड़ मौतों में से, लगभग 20 लाख मौतें ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम से जुड़ी बीमारियों के कारण होती हैं, और कार्डियोवैस्कुलर मामलों से मरने वालों में 40 प्रतिशत महिलाएं होती हैं।
इसके बारे में बात करते हुए, डॉ. नरेश कुमार गोयल, एसोसिएट डायरेक्टर एवं एचओडी, क्लिनिकल रिसर्च कार्डियोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग, नई दिल्ली ने कहा, श्पुरुषों एवं महिलाओं दोनों में हृदय रोग के लक्षण अलग-अलग हैं, जिसका एक कारण तो यह है कि प्रायरू जब तक बीमारी बढ़ं नहीं जाती, तब तक महिलाओं की जांच तक नहीं करायी जाती है। महिलाओं में छाती के दर्द के बिना भी दिल का दौरा पड़ सकता है। कभी-कभी, मतली और पसीना आने जैसे लक्षणों को आम फेंटिंग से जोड़ कर देख लिया जाता है, जिसे वेसोवागल सिंकोप कहा जाता है। ऐसा रक्त शर्करा का स्तर घटने या तीव्र भावनाओं के कारण होता है। दिल से जुड़े फेंटिंग एपिसोड बिना किसी चेतावनी संकेत के आ सकते हैं। इसके अलावा, लगातार बनी रहने वाली पाचन समस्याओं और असामान्य थकान को भी गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इनके बारे में जागरूक होना और समय पर इलाज एवं प्रबंधन के लिए डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।्य बदलती जीवन शैली और अन्य सहयोगी स्थितियों के कारण एस्ट्रोजेन का स्तर घटने से भारत में युवा महिलाओं में हृदय रोग विकसित होने लगता है। अन्य जोखिम कारक जो इस हालत को बिगाड़ सकते हैं उनमें मधुमेह, मोटापा और संबंधित बीमारियां तथा शारीरिक निष्क्रियता प्रमुख है। इन वजहों से समस्या और अधिक बिगड़ गयी है।