कहते हैं जब कोई चुनाव आता है तभी गरीब के दिन भी लौट आते है। जो व्यक्ति एक गरीब से बात भी नहीं करता था। वह उसे देखते ही दूर से नमस्कार करता है। उसके घर जाकर दिन में कई बार हाल चाल पूछने के साथ ही चाचा कोई दिक्कत हो तो बताना जरूर कहता नजर आ जायेगा। नगर निगम देहरादून  में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। यहां मेयर  पद व सभासद पद के उम्मीदवारों में मतदाता को लुभाने की होड़ सी लगी है। प्रत्याशी घर घर जाकर लोगों से वोट देने की अपील के साथ ही अपना-अपना चुनावी घोषणा पत्र भी देते नजर आ रहे है। अब घोषणा पत्र के दावों की सही परख तो चुनाव के बाद, जीते हुए उम्मीदवार के काम व घोषणा पत्र के आधार पर अगले पांच साल में जनता फैसला कर ही देगी। चुनावी महौल में उम्मीदवार मतदाता का मन टटोलने में कोर कसर नहीं छोड रहा है। वहीं आज के समय का मतदाता भी इतना जगरूक व सचेत है , कि अपने पत्ते खोलने को तैयार नही है। चुनाव के प्रचार का आलम यह है, कि पार्टीयों के सिम्बल पर चुनाव लडने वाले प्रत्याशी जहां अपने साथ समर्थकों की फौज लेकर निकलते है वहीं कुछ निर्दलीय उम्मीदवार गुपचुप तरीके से भी अपना प्रचार प्रसार करते नजर आ रहे है। मेयर पद के साथ-साथ सदस्य पद के उम्मीदवार भी अपने-अपने वार्ड में पोस्टर बैनर नमूना बैलेट पेपर इत्यादि के माध्यम से मतदाता को निशान समझाते तथा अपने पक्ष में वोट करने की अपील करते देखे जा सकते हैं। मतदाता हर प्रत्याशी से बस एक ही जवाब दे रहा है, कि –
भइया जी हमारा वोट आपके अलावा कही जा ही नही सकता है। हम सभी आपको ही वोट देगें। खैर मतदाता भी किसी को क्यों मना करे, जब हमारे देश के राजनेता कभी किसी को मना नही करते। भले ही उसका काम न हो पर आश्वासन देते रहेंगे। शायद इन्ही के बताये
नक्शे- कदम पर आज का जागरूक मतदाता भी चल रहा है।