अल्मोड़ा, वन पंचायतें पिछले कुछ सालों से लगातार संकट के दौर से गुजर रही हैं, लेकिन इसके बाद भी विभाग कार्रवाई करने के बजाए मनमाने तरीके से काम कर रहा है। अगर शीघ्र वन पंचायतों की दशा को सुधारने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई तो आंदोलन किया जाएगा।

  ताकुला के इनाकोट में वन पंचायत सरपंच संगठन की बैठक को संबोधित करते हुए संगठन के सदस्यों ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों को लीसा रॉयल्टी का भुगतान वर्षो से नहीं हुआ है। दावानल नियंत्रण के लिए कुछ ही पंचायतों में मनमाने तरीके से पैसा वितरित किया जा रहा है। वन पंचायतों के चयन का कोई मानक नहीं बनाया गया है। संगठन के सदस्यों ने कहा है कि विभाग द्वारा वन पंचायतों की मूल अवधारणा को ही भुला दिया गया है। जबकि उनकी स्वायत्ता वन विभाग के पास गिरवी रख दी गई हैं। ब्रिटिश काल से निर्धारित इमारती लकड़ी के हक का कोटा ग्रामीणों को नहीं दिया जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि गुलदार द्वारा मारे गए मवेशियों के मुआवजे की राशि का भुगतान भी ग्रामीणों को पिछले पांच सालों से नहीं किया गया है। जबकि बिंसर सेंचुरी के अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे आश्वासन भी हवाई साबित हो रहे हैं। बैठक में तय किया गया कि जंगली सुअरों को मारने वाले लोगों को संगठन द्वारा सम्मानित किया जाएगा। बैठक में ईश्वर जोशी, दीवान सिंह, पंकज मेहता, राजेश भट्ट, लछिमा देवी, रेखा देवी, नंदी देवी, प्रताप सिंह, चंदन सिंह, सुंदर सिंह, नवीन राम, बिशन बाराकोटी, सुनील बाराकोटी, लक्ष्मण सिंह, अनीता कनवाल समेत अनेक लोग मौजूद रहे।