उत्तरकाशी के भकड़ा गाँव की 14 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार के बाद उसकी निर्मम हत्या की गयी ।बताया जा रहा है कि चारों आरोपी बिहारी मजदूर हैं और चारों मुस्लिम समुदाय से हैं . इन्होंने रात में लड़की को घर से बिजली का कनेक्शन काटकर उसे अगुआ कर ले गए, जिसके बाद देर रात को घटना को अंजाम दिया। घर मे इस बच्ची के विकलांग पिता व विक्षिप्त माँ थी , बेहद गरीबी में दिन काट रहे इस परिवार को निशाना बनाया इन दरिंदो ने बाद मैं इस के शव को पुल के ऊपर फेंक दिया। ख़बर ये भी है कि मासूम नाबालिग की एक बड़ी बहन भी है जो घटना के समय अपने मामा के घर गयी हुई थी और ये चारों दरिंदे उसी की फ़िराक में आये थे । उसे वहां ना पाकर उन्होंने उस नाबालिग को ही अपनी कामुकता का शिकार बना डाला । आरोपियों को पुलिस ने टिहरी के थत्यूड़ व् देहरादून जिलों से पकड़ा ! अभी आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है। पुलिस और प्रशासन को इस घटना पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है, इनकी सजा एक मिसाल बननी चाहिए ताकि इसके बाद कोई भी इस तरह के अपराध के बारे में सोच भी न सके। ये घटना सम्पूर्ण उत्तराखंड के लिए दुःखद और शर्मनाक है। ये मानवीय संवेदनाओं के लिए एक अभिशाप है।
सरकार को इस पूरी घटना को गंभीरता से लेना होगा। ये उत्तराखंड मैं इस तरह की घटनाओ का होना भविष्य के लिए सही संकेत नहीं है। इस तरह की घटना ने एक बार फिर से हमारी वयवस्थाओ को सवालो के घेरे मैं खड़ी करती हैं।
घनसाली और कोटद्वार की घटनाओं के बाद सीमांत जनपद उउत्तरकाशी की ये घटना हमारी संस्कृति, सभ्यता, अस्मिता एवं परम्पराओं पर कुठाराघात है, जिसे बचाने के लिए उत्तराखंड के हर व्यक्ति एक आवाज एक लक्ष्य के साथ खड़े होकर उत्तराखंड में घुस रहे इन वहशी एवं कटृरपंथियों दरिन्दों का विरोध करना होगा ।
पूरे घटनाक्रम में लोगों का मानना है कि गलती पुलिस और उन ठेकेदारों की भी है जो थोड़े से पैसों के लालच में नेपालियों और बिहारियों को काम करने के लिए बुला लेते हैं और पुलिस भी बिना वेरिफिकेशन किये उन्हें वहां काम करने देती है।ऐसे में जब हमारी बहन -बेटियां अपने घर में ही सुरक्षित नहीं हैं तो फिर कहाँ होंगी ।