देहरादून, भारतीय जनता पार्टी के नेता रविन्द्र जुगरान ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार की जीरो टोलरेन्स नीति को नौकरशाही ठंडे बस्ते में डालने का काम कर रही है। उन्हांेने कहा कि पूर्व डीजीपी सिद्धू पर उनके चयन से पहले ही कई आरोप थे। यदि उनका पहले ही संज्ञान ले लिया जाता तो वे प्रदेश के डीजीपी जैसे महत्वपूर्ण पद तक नही पहुँच पाते। 
यहां प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान रविन्द्र जुगरान ने कहा कि जब सिद्धू मुम्बई में आरपीएस में कमीश्नर के पद पर कार्यरत थे उस दौरान उनपर रेलवे की फर्जी टिकटों का रैकेट चलाने के आरोप लगे थे। इस मामले में जांच भी की गयी। किन्तु उच्च पद का लाभ लेते हुए सिद्धू ने जोर लगाकर इस जांच को ठंडे बस्ते में डलवाने का काम किया था। जुगरान ने यह भी कहा कि सिद्धू के कार्यालय की वरिष्ठ लिपिक मन्जू जैन ने इन पर यौन शोषण के गंभीर आरोप भी लगाए किन्तु इन्होंने अपने उच्च पद पर होने का फायदा उठाकर मिलीभगत से महिला को ही बर्खास्त कर दिया। उस महिला ने कई बार उत्तराखण्ड शासन को सिद्धू के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए शिकायती पत्र भी भेजे किन्तु आज तक सिद्धू के खिलाफ उत्तराखण्ड में एफआईआर तक लाॅज नही की गयी। जोकि गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने  कहा कि जो सिद्धू के खिलाफ एनजीटी का फैसला आया है उससे सरकार का जीरो टारलेन्स को बढावा देने को बल मिला है। उन्होंने  उम्मीद जताई कि अन्य मामलो में भी भाजपा की जीरो टारलेंस की सरकार सिद्धू के खिलाफ मामला दर्ज कर जनहितों की सुरक्षा करेगी। वार्ता में उनके साथ राजीव तलवार व देव बड़ोला भी मौजूद थे ।