रुद्रप्रयाग, जन अधिकार मंच ने थाती-बड़मा (जखोली) में सैनिक स्कूल का निर्माण कार्य जल्द शुरू करने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजा। मंच ने चार पन्नों का प्रतिवेदन भी पीएम को भेजा है।     पत्र में मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा वर्ष 2012-13 में दिग्धार बड़मा (जखोली) जिला रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड) में सैनिक विद्यालय की स्थापना की घोषणा की गई थी। 2014 में उसके प्रारंभिक व्यय के लिए 10.00 करोड़ (दस करोड़) रुपए की धनराशि उपलब्ध कराकर निर्माण कार्य आरंभ भी करवा दिया गया था, जो 2016 में हुए राजनीतिक उथल-पुथल के बाद से ठप पड़ गया। इसमें थाती-बड़मा गांव के लोगों द्वारा चार हैक्टेयर उपजाऊ कृषि भूमि तथा 12.4 हैक्टेयर ग्राम समाज की वन भूमि और गौचर-पनघट की भूमि निरूशुल्क उपलब्ध कराई गई थी। उस भूमि पर अधूरा कार्य हुआ है और लोगों द्वारा दी गई भूमि बंजर पड़ी हुई है। इसके विपरीत उस विद्यालय को अन्यत्र स्थानांतरित करने का दुष्प्रचार किया जा रहा है, जिससे लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है। मंच ने प्रधानमंत्री से मांग करते हुए कहा कि सरकार को अविलंब लोगों के समक्ष घोषणा करनी चाहिए कि दिग्धार (बड़मा) में स्वीकृत एवं निर्माणाधीन सैनिक विद्यालय का निर्माण इसी स्थान पर होगा और इसे किसी भी स्थिति में अन्यत्र स्थानांतरित नहीं किया जायेगा। अब तक निर्माण कार्यों में हुए घोटालों की निष्पक्ष जांच की जाये और सारे तथ्य जनता के सामने लाये जायें लेकिन इस बहाने सैनिक स्कूल का अग्रेतर निर्माण-कार्य बाधित नहीं होने दिया जाये और उसे अविलंब आरंभ किया जाये। सैनिक स्कूल के निर्माण के लिये पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था सरकार शीघ्र करे तथा इसमें भारत सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करे। सैनिक विद्यालय के भवनों एवं अन्य निर्माण कार्यों के लिये एक निश्चित समयावधि निर्धारित की जाय। निर्माण कार्य किसी सक्षम एवं विश्वसनीय कार्यदायी संस्था को सौंपे जाये। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता तथा समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए विद्यालय स्तर पर एक समिति गठित की जाय, जिसमें तकनीकी व प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा स्थानीय ग्रामीणों द्वारा मनोनीत एक जनप्रतिनिधि भी सम्मिलित हो। ग्रामीणों द्वारा दान दी गई भूमि के अलावा ली गई अन्य भूमि का मुआवजा तीन माह के भीतर संबंधित भूमिधरों को वितरित किया जाय। उसका विवरण संबंधित ग्राम प्रधानों, ब्लॉक प्रमुख और जिलाधिकारी को मुआवजा वितरण के एक माह के भीतर उपलब्ध कराया जाय और वर्षा जल के निकास और मलबा निस्तारण की व्यवस्था इस ढंग से की जाय कि उससे भूमि का कटाव तथा ग्रामीणों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो।