देहरादून, देहरादून और हरिद्वार जिले उत्तराखंड के सबसे अधिक आबादी वाले जिलों में से हैं। देहरादून में 1,696,694 लोग और हरिद्वार में 1,927,029 (जनगणना 2011 के अनुसार) लोग रहते हैं। उत्तराखंड में ये दो सबसे बड़े शहर हैं। देहरादून का घनत्व 549 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर और हरिद्वार का घनत्व 801 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। यह राज्य के औसत 189 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से काफी अधिक है। देहरादून और हरिद्वार भूकंपीय क्षेत्र 4 के अंतर्गत आता है, जिससे यह भूकंप जैसे आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।

   सुभाष रोड स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में सीड्स के मनु गुप्ता ने कहा कि अपने भौगोलिक स्थानों के आधार पर, दोनों जिलों को पहले से ही प्राकृतिक खतरों के जोखिम का सामना करना पड़ता रहा है। प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता तेजी से औद्योगिकीकरण और अनियोजित विस्तार के कारण और भी बढ़ गई है। बाढ़, भूकंप और भूस्खलन के प्रमुख जोखिमों के साथ-साथ जिलों को जंगल की आग, अत्यधिक गर्मी और पानी की कमी का भी सामना करना पड़ता है। दुनिया में सबसे अधिक संख्या में बच्चे भारत में हैं। दुनिया के 19 प्रतिशत बच्चे भारत में हैं। सभी सार्वजनिक सुविधा परिसरों में से, किसी भी आपदा की स्थिति में स्कूलों के बच्चे सबसे कमजोर समूहों में होते हैं। फरवरी 2016 में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने स्कूल सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देश जारी किया था। राष्ट्रीय स्कूल सुरक्षा नीति संबंधी दिशानिर्देश देश के सभी विद्यालयों पर लागू होते हैं – चाहे वे ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों में स्थित सरकारी स्कूल हों, सहायता प्राप्त स्कूल हों या निजी स्कूल हों। इसके अलावा, स्कूलों की संरचनात्मक सुरक्षा को सरकार के सर्व शिक्षा अभियान के तहत शामिल किया गया है। बच्चों के साथ दुव्र्यवहार और उन्हें धमकाने जाने के मुद्दे अतिरिक्त सुरक्षा चिंताओं के रूप में उभर रहे हैं। 2017 में, हनीवेल इंडिया ने सीड्स के सहयोग से हनीवेल सेफ स्कूल कार्यक्रम शुरू किया जिसके तहत दिल्ली में स्कूली सुरक्षा के प्रति व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया। हनीवेल सेफ स्कूल एक समग्र स्कूली सुरक्षा का कार्यक्रम है। यह आपदा जोखिम में कमी लाने का भी कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य उन्हें जोखिम में कमी, आपदा संबंधी तैयारी, आपदा होने पर प्रतिक्रिया, और रिकवरी के जरिए बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने के लिए सक्षम बनाना है। यह कार्यक्रम अग्रणी स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम है जिसके तहत हर स्कूल की अनूठी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक खास दृष्टिकोण अपनाया जाता है ताकि बच्चे बिना किसी भय के स्कूल जाएं और बच्चों को डर के बिना स्कूल जाने, स्कूल में उनका सुरक्षित रहना और सुरक्षित रूप से घर लौटना सुनिश्चित हो सके। कार्यक्रम में इंजीनियरों और आर्किटेक्ट्स द्वारा प्रत्येक स्कूल का संरचनात्मक मूल्यांकन; बच्चों, शिक्षकों और माता-पिता के बीच जोखिम धारणा का मूल्यांकन; और किसी भी आपदा के समय बचाव की तैयारी की जांच शामिल है। इसके बाद, सीड्स के विशेषज्ञ बच्चों, स्कूलों, समुदायों और नागरिक एजेंसियों के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि उन्हें आपदा के समय बचाव संबंधी तैयारी करने और जोखिम में कमी के संबंध में उन्हें प्रषिक्षित किया जाए। यह इंटरैक्टिव सत्र, माॅक ड्रिल, सहकर्मियों के बीच पारस्परिक षिक्षण और गैर-संरचनात्मक मिटिगेशन के माध्यम से किया जाता है। पत्रकार वार्ता में हनीवेल इंडिया की प्रतिनिधि भी उपस्थित रहीं।