कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री से की मुलाकात 

निकाय चुनाव समय पर कराये जाने की मांग की 
देहरादून,  राज्यभर में चलाये जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान में पूर्ण प्रभावितों को विस्थापित किये जाने, प्रभावितों को उचित मुआबजा दिये जाने एवं नगर निकाय एवं स्थानीय निकाय के चुनाव समय पर कराये जाने की मांग को लेकर प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। 

    मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सौंपे ज्ञापनों में प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रदेशभर में प्रशासन द्वारा उच्च न्यायालय के आदेशों पर विगत दिनों से चलाये जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान के संदर्भ में आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 4 जुलाई को संशोधित करते हुए राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन को यह निर्देशित किया गया था कि अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाने से पूर्व लोगों की आपत्तियों का निस्तारण किया जाय तथा निस्तारण तक यथा स्थिति कायम रखी जाय। किन्तु प्रदेशभर में चलाये जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की पूर्ण रूप से अवहेलना की जा रही है। देहरादून शहर के कई क्षेत्रों में अतिक्रमण विरोधी दस्ते द्वारा सन् 1938 के नक्शे का हवाला देते हुए वैध निर्माणों को तोड़ दिया गया है जो कि तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि इसी परिपेक्ष्य में विगत सत्र में विधानसभा सदन में मामला उठाये जाने पर विधानसभा अध्यक्ष पीठ द्वारा सरकार को निर्देशित भी किया गया है, परन्तु तद्नुसार राज्य सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। 

कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि राज्य की राजधानी देहरादून में चलाये जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान प्रेमनगर व केहरी गांव बाजार की 155 दुकानें जो कि कैंट बोर्ड क्षेत्र में आती हैं तथा कैंट व राजस्व भूमि पर निर्मित हैं, अतिक्रमण विरोधी दस्ते दारा तोड़ दी गई हैं। यह निर्माण 40 से 60 वर्ष पुराने थे और अधिकांश लोग देश के बंटवारे के समय शरणार्थी के रूप में आये थे। प्रेमनगर के कैन्ट क्षेत्र में विस्थापित इन लोगों की रोजी-रोटी का एक मात्र जरिया इनकी छोटी-छोटी व्यावसायिक दुकानी थी। अतिक्रमण विरोधी अभियान में विस्थापित क्षेत्र की इन 155 दुकानों को भी अतिक्रमण की जद में मानते हुए प्रशासन द्वारा चिन्हित किया जिस पर क्षेत्रवासियों ने शासन-प्रशासन और सरकार से इतनी लंबी अवधि से इस स्थान पर कार्य कर रहे लोगों के पुर्नवास की मांग की थी। स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा लोगों को आश्वासन दिया गया कि सरकार सकारात्मक कार्यवाही करेगी परन्तु 15 दिन पूर्व प्रशासन ने पुलिस व पीएसी लगाकर इन दुकानों को ध्वस्त कर दिया, जिससे इन दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। साथ ही कैन्ट बोर्ड द्वारा अतिक्रमण से मुक्त बचे हुए निर्माणों के मरम्मत कार्य के लिए अनुमति भी नहीं दी जा रही है तथा दुकानदारों का उत्पीड़न किया जा रहा है। कंाग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि अतिक्रमण विरोधी अभियान से प्रदेशभर के प्रभावित लोगों को उचित मुआबजा दिया जाय तथा पूर्ण रूप से प्रभावितों को अन्त्र पुर्नवासित करने के साथ ही अतिक्रमण से मुक्त बचे हुए निर्माणों के मरम्मत कार्य के लिए कैन्ट बोर्ड से अनुमति दी जाय। 

एक अन्य ज्ञापन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा है कि प्रदेश में नगर निकाय एवं स्थानीय निकायों का पंचवर्षीय कार्यकाल 4 मई को पूर्ण हो चुका है। राज्य सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने बिना जन प्रतिनिधियों व स्थानीय जनता को विश्वास में लिए राज्य की राजधानी देहरादून के नगर निगम सहित अनेक नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों के क्षेत्रफल में विस्तार करने तथा मनमाने ढंग से परिसीमन करने के कारण प्रभावित निकाय व क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि एवं नागरिक न्यायालय की शरण में गये। अनेक मामलों में उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा राज्य सरकार की सीमा विस्तार तथा परिसीमन की अधिसूचनाओं को निरस्त करने के आदेश निर्गत किये। न्यायालयों में वाद लम्बित होने के कारण राज्य में निकायों के चुनाव निश्चित समय पर नहीं हो पाये हैं। राज्य में जिन निकायों में नये ग्रामीण क्षेत्र शामिल किये गये थे उनकी स्थिति त्रिशंकु वाली बन गई है, वे न तो नगरीय क्षेत्र में हैं और ग्रामीण क्षेत्रों के अन्तर्गत 14वें वित्त आयोग से मिलने वाले सभी लाभ से भी वंचित हो चुके हैं तथा पिछले लगभग एक वर्ष से बिना निर्वाचित जनप्रतिनिधि के हैं जिससे क्षेत्र के विकास में विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। निकायों के कार्यकाल समाप्त होने के उपरान्त नगर निकाय एवं स्थानीय निकायों में चुनाव न कराया जाना 74वें संविधान संशोधन का खुला उलंघन है। राज्य सरकार द्वारा बिठाये गये प्रशासकों को भी चार माह का समय व्यतीत हो चुका है परन्तु अभी तक चुनावों की तिथि की घोषणा नहीं हो पाई है, जो कि नियमानुसार 4 नवम्बर से पूर्व हो जानी चाहिए थी। कांग्रेस पार्टी व राज्य की जनता को यह महसूस हो रहा है कि राज्य सरकार जानबूझ कर निकाय चुनाव को लोकसभा चुनावों के बाद करवाने का मन बना रही है। निकायों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के न होने के कारण शहरी जनता के नागरिक अधिकारों का हनन हो रहा है तथा विकास के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने राज्य के नगर निकाय एवं स्थानीय निकायों में पूर्व के परिसीमन के आधार पर चुनावों की तिथि शीघ्र घोषित करते हुए समय पर चुनाव कराये जाने की मांग की है।
   प्रतिनिधिमण्डल में प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, पूर्व मंत्री दिनेश अग्रवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकान्त , पूर्व विधायक विक्रम सिंह नेगी, पूर्व विधायक राजकुमार, महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा, महामंत्री याकूब सिद्धिकी, पूर्व महानगर अध्यक्ष पृथ्वीराज चौहान ,आशीष उनियाल, प्रभुलाल बहुगुणा, विजय प्रताप मल्ल,दीवान सिंह तोमर, विजयेश नवानी,अनुज दत्त शर्मा आदि कांग्रेसजन शामिल थे।