हरिद्वार, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के अस्थि विसर्जन को देख कर जहाँ पूरे देश की आँखे नम थी तो दूसरी ओऱ उत्तराखंड के एक काबीना मंत्री की हनक ने पार्टी को शर्मसार कर दिया ।उस दिव्य आत्मा का अस्थि विसर्जन तो संपन्न हो गया मगर हरिद्वार से भाजपा के ही विधायक व् काबीना मंत्री मदन कौशिक का तानाशाही रवैया खुद उनके गले की फांस बन गया ।
अटल जी जैसे व्यक्तित्व के अस्थि विसर्जन को लेकर स्थानीय विधायक और प्रदेश सरकार में ताक़तवर माने जाने वाले मंत्री मदन कौशिक ने जिस तरह से राजनीति की और अस्थि विसर्जन को अपनी राजनीतिक दुश्मनी निकालने का हथियार बनाया उससे आलाकमान मदन कौशिक से बेहद नाराज है। यही वजह है कि अस्थि विसर्जन में अव्यवस्थाओं से बेहद खफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश पर मदन कौशिक को उनके ही धुर विरोधी सतपाल महाराज के प्रेम नगर आश्रम में तलब कर लिया गया।
पार्टी के प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, राष्ट्रीय संगठन मंत्री शिव प्रकाश, प्रांतीय सह प्रभारी संजय कुमार और प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने उन्हें जब प्रेम नगर आश्रम पंहुचाने को कहा तो कभी भी आश्रम में कदम नही रखने की कसम खाने वाले मदन कौशिक को घुटनो के बल चलकर प्रेम नगर आश्रम पंहुचाना पड़ा। हालांकि बैठक में अंदर ना तो किसी कार्यकर्ता को जाने की इजाजत थी ना ही मीडिया को। कुछ स्थानीय विधायक भी बैठक में पंहुचे थे। बैठक में शिवप्रकाश, श्याम जाजू, संजय कुमार, अजय भट्ट, पयर्टन मंत्री सतपाल महाराज और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ही रहे।
बैठक में क्या हुआ इस पर इनमे से किसी ने भी मीडिया से कोई बात नही की मगर सूत्रों का कहना है कि बैठक में मदन को जमकर झाड़ पड़ी। बैठक में वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मदन से पूछा कि जब अस्थि विसर्जन के लिए कलश यात्रा शुरू करने के लिए प्रेम नगर आश्रम तय कर लिया गया था फिर उसे शांति कुंज किसके कहने पर किया गया? मदन से पूछ गया कि शांतिकुंज से भी देर रात को जगह में परिवर्तन क्यों किया गया? श्याम जाजू ने मदन से जानना चाहा कि जब आपको सभी जिम्मेदारियां दे दी गई थी तो फिर अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में इतनी ज्यादा अव्यवस्थाएं क्यों थी? नेताओ ने मदन से दो टूक लफ्जो में कहा कि अटल जी के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम को लेकर आपने राजनीतिक मोहरा बनाकर ठीक नही किया है। बैठक के बाद शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक काफी परेशान और असहज दिखाई दे रहे थे। जब हमने मदन कौशिक से पूछा कि आप तो आश्रम में आते ही नही हो तो आज अचानक से आश्रम कैसे आ गए? बस यह सवाल सुनना था और भड़क गए मंत्री जी। भड़कते हुए कहने लगे कि मैं तो आता रहता हूं, और क्या अब मैं यंहा तुमसे टिकट लेकर आऊंगा ? मदन की झुंझलाहट बात रही थी कि आलाकमान अस्थिविसर्जन में अव्यवस्थाओं और राजनीतिक मोहरा बनाये जाने को लेकर मदन से कुछ ज्यादा ही नाराज है। दरअसल मदन कौशिक और सतपाल महाराज में आपस मे ठने हुआ करीब द्वश साल हो गया है जब भारी बारिश के में रानीपुर मोड़ पर जल भराव होने के बाद मदन के खास तत्कालीन मेयर मनोज गर्ग ने आश्रम की दीवार तुड़वा दी थी, तो ऐसे लेकर हुए हंगामे में सतपाल समर्थकों ने मनोज गर्ग पर हमला कर दिया था। तब से लेकर मनोज और मदन की सतपाल महाराज से आमने सामने की ठनी हुई है। तब से ही आश्रम में मदन और मनोज गर्ग के लिए नो एंट्री है। मदन ने महाराज से अपनी खुंदक निकलने के लिए ही अटल जी के अस्थि विसर्जन को मोहरा बनाया और प्रेम नगर आश्रम में तय हो चुके कार्यक्रम को निरस्त करवा दिया था। मगर आज अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में अव्यवस्थाओं को लेकर अस्थि विसर्जन के बाद अमित शाह के निर्देश पर आश्रम में ही बैठक रखी गई और उसमें मदन को तालाब किया गया तो मदन को ना चाहते हुए भी प्रेम नगर आश्रम में आना पड़ा।
मदन कौशिक के प्रेम नगर आश्रम में आने पर जब सतपाल महाराज से पूछा गया तो उन्होंने साफ साफ कहा कि मैंने नही बुलाया है वह खुद ही आ गया है। बहरहाल अटल जी के अस्थि विसर्जन को मदन द्वारा राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किये जाने और अस्थि विसर्जन में तमान बद इंतजामो को लेकर आला कमान की नाराजगी क्या गुल खिलाती है और मदन के लिए कितनी भारी पड़ती है यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल सकेगा।
बैठक में क्या हुआ इस पर इनमे से किसी ने भी मीडिया से कोई बात नही की मगर सूत्रों का कहना है कि बैठक में मदन को जमकर झाड़ पड़ी। बैठक में वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मदन से पूछा कि जब अस्थि विसर्जन के लिए कलश यात्रा शुरू करने के लिए प्रेम नगर आश्रम तय कर लिया गया था फिर उसे शांति कुंज किसके कहने पर किया गया? मदन से पूछ गया कि शांतिकुंज से भी देर रात को जगह में परिवर्तन क्यों किया गया? श्याम जाजू ने मदन से जानना चाहा कि जब आपको सभी जिम्मेदारियां दे दी गई थी तो फिर अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में इतनी ज्यादा अव्यवस्थाएं क्यों थी? नेताओ ने मदन से दो टूक लफ्जो में कहा कि अटल जी के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम को लेकर आपने राजनीतिक मोहरा बनाकर ठीक नही किया है। बैठक के बाद शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक काफी परेशान और असहज दिखाई दे रहे थे। जब हमने मदन कौशिक से पूछा कि आप तो आश्रम में आते ही नही हो तो आज अचानक से आश्रम कैसे आ गए? बस यह सवाल सुनना था और भड़क गए मंत्री जी। भड़कते हुए कहने लगे कि मैं तो आता रहता हूं, और क्या अब मैं यंहा तुमसे टिकट लेकर आऊंगा ? मदन की झुंझलाहट बात रही थी कि आलाकमान अस्थिविसर्जन में अव्यवस्थाओं और राजनीतिक मोहरा बनाये जाने को लेकर मदन से कुछ ज्यादा ही नाराज है। दरअसल मदन कौशिक और सतपाल महाराज में आपस मे ठने हुआ करीब द्वश साल हो गया है जब भारी बारिश के में रानीपुर मोड़ पर जल भराव होने के बाद मदन के खास तत्कालीन मेयर मनोज गर्ग ने आश्रम की दीवार तुड़वा दी थी, तो ऐसे लेकर हुए हंगामे में सतपाल समर्थकों ने मनोज गर्ग पर हमला कर दिया था। तब से लेकर मनोज और मदन की सतपाल महाराज से आमने सामने की ठनी हुई है। तब से ही आश्रम में मदन और मनोज गर्ग के लिए नो एंट्री है। मदन ने महाराज से अपनी खुंदक निकलने के लिए ही अटल जी के अस्थि विसर्जन को मोहरा बनाया और प्रेम नगर आश्रम में तय हो चुके कार्यक्रम को निरस्त करवा दिया था। मगर आज अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में अव्यवस्थाओं को लेकर अस्थि विसर्जन के बाद अमित शाह के निर्देश पर आश्रम में ही बैठक रखी गई और उसमें मदन को तालाब किया गया तो मदन को ना चाहते हुए भी प्रेम नगर आश्रम में आना पड़ा।
मदन कौशिक के प्रेम नगर आश्रम में आने पर जब सतपाल महाराज से पूछा गया तो उन्होंने साफ साफ कहा कि मैंने नही बुलाया है वह खुद ही आ गया है। बहरहाल अटल जी के अस्थि विसर्जन को मदन द्वारा राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किये जाने और अस्थि विसर्जन में तमान बद इंतजामो को लेकर आला कमान की नाराजगी क्या गुल खिलाती है और मदन के लिए कितनी भारी पड़ती है यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल सकेगा।