चैखुटिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नाम पर प्रचार प्रसार तो खूब हो रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है। जब बालिका विद्यालयों में पढ़ाने केलिए शिक्षक ही उपलब्ध नहीं होंगे तो बेटियां कैसे आगे बढेंगी। यह एक विचारणीय सवाल है, लेकिन इस ओर सरकार का ध्यान नहीं है। ऐसा ही कुछ हाल यहां राजकीय बालिका इंटर कालेज मासी का है। यह विद्यालय मासी क्षेत्र का एक मात्र राजकीय बालिका इंटर कालेज है, जो आदर्श विद्यालय भी है। यहां आसपास के अनेक गांवों की छात्राएं पढ़ती हैं, मगर यहां बीते कई वर्षो से शिक्षकों का भारी टोटा बना है। विज्ञान व गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक नहीं हैं। इंटर स्तर पर तो शिक्षकों की और भी समस्या बनी है। हालत यह है कि इंटर की कक्षाएं महज दो प्रवक्ताओं के सहारे चल रही हैं। रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, राजनीति विज्ञान, अंग्रेजी, इतिहास, संस्कृत व समाजशास्त्र विषयों के प्रवक्ता नहीं हैं।
एलटी स्तर पर भी अंग्रेजी व गणित के शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में पूरा विद्यालय महज 7 शिक्षकों के हवाले हैं। इससे विद्यालय में बिना शिक्षकों के ही पठन-पाठन की कवायद चल रही है तथा शिक्षकों के अभाव के चलते वर्ष दर वर्ष छात्राओं की संख्या घटती जा रही है। शिक्षक अभिभावक संघ के अध्यक्ष नंद किशोर आर्य का कहना है कि बार बार मांग के बाद भी समस्या यथावत बनी है। उन्होंने शीघ्र तैनाती न होने पर आंदोलन की बात कही है।