नैनीताल , जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी0एम0वी0एन0 ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वर्ष 2010 में कृषि मन्त्री रहते हुए 9680 कुंटल ढैंचा बीज की मांग के सापेक्ष 15000 कुंटल ढैंचा बीज की खरीद हेतु आदेश पारित किये तथा उक्त बढ़ी हुई मांग की समुचित प्रक्रिया अपनायें अनुमोदन कर दिया। उक्त बीज मिलीभगत कर 3839/-कुंटल की दर से खरीदा गया जबकि वही बीज खुले बाजार में उस वक्त 1538/-कुंटल की दर पर उपलब्ध था।    बीज निधि सीड्स कारपोरेशन नैनीताल से खरीदा गया, जबकि राज्य/ केन्द्रीय एजेन्सियों के पास पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध था। उक्त बीज खरीद की रवानगी निधि सीड्स द्वारा ट्रकों से दर्शायी गयी जबकि दर्शाये गये अधिकांश ट्रकों की आमद/एंट्री व्यापार कर चैकियों में कहीं भी दर्ज नहीं थी।

उक्त पूरे प्रकरण को लेकर जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी0एम0वी0एन0 ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी द्वारा मा0 उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी थी जिसमें तत्कालीन कृषि मन्त्री श्री त्रिवेन्द्र रावत (वर्तमान मुख्यमन्त्री) द्वारा किये गये भ्रष्टाचार एवं मुख्यमन्त्री बनते ही मातहत अधिकारियों पर दबाव डालकर त्रिपाठी जाॅंच आयोग की रिपोर्ट को ही पलटवा दिया गया था। एक्शन टेकन कमेटी की रिपोर्ट में क्लीन चिट दिये जाने सम्बन्धी रिपोर्ट को न्यायालय में पेश करा दिया गया कि एक्शन टेकन रिपोर्ट में त्रिवेन्द्र रावत दोषी नहीं पाये गये हैं। उक्त सभी तथ्यों को लेकर मोर्चा द्वारा मा0 न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया था। पूर्व में उक्त मामले की गूॅंज पूरे प्रदेश में होने पर प्रकरण में तत्कालीन कांगे्रस सरकार के समय वर्ष 2013 में एकल सदस्यीय एस0सी0 त्रिपाठी जाॅंच आयोग गठित किया, जिसमें ढैंचा बीज घोटाले की जाॅंच हेतु निर्देशित किया गया था। उक्त मामले की गहन जाॅंच के उपरान्त त्रिपाठी जाॅंच आयोग द्वारा तत्कालीन कृषि मंत्री श्री त्रिवेन्द्र रावत के खिलाफ तीन बिन्दुओं पर कार्यवाही की सिफरिश की, जिसमें कृषि अधिकारियों का  निलम्बन एवं फिर उस आदेश की पलटना, सचिव, कृषि की भूमिका की जाॅंच बिजीलेंस से कराये जाने के मामले में अस्वीकृती दर्शाना तथा बीज डिमांड प्रक्रिया सुनिश्चित किये बिना अनुमोदन करना। इस प्रकार आयोग ने इसे उ0प्र0 (अब उत्तराखण्ड) कार्य नियमावली 1975 का उल्लंघन माना है। आयोग ने श्री रावत के खिलाफ सिफारिश की है कि सरकार उक्त तथ्यों का परीक्षण कर कायवाही करे। 

  उक्त पूरे घोटाले की लीपापोती में अपनी गर्दन फंसी देखकर तत्कालीन कृषि मन्त्री रावत ने तीन-चार कृषि अधिकारियों के निलम्बन के आदेश पारित किये तथा बाद में उनका निलम्बन निरस्त कर दिया तथा यह उल्लेख किया कि इन अधिकारियों के निलम्बन से कृषि योजनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इस मामले में छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया गया। उच्च न्यायालय की पीठ जिसमें कार्यवाहक मा0 मुख्य न्यायधीश श्री राजीव शर्मा व मा0 न्यायधीश मनोज तिवारी ने यह कहकर जनहित याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता रघुनाथ सिंह नेगी पूर्व में गढ़वाल मण्डल विकास विभाग के उपाध्यक्ष रहे हैं तथा वह राजनैतिक व्यक्ति है। न्यायालय ने नेगी द्वारा त्रिवेन्द्र रावत पर ढैंचा बीज घोटाले व एक्शन टेकन रिपोर्ट को की मैरिट को बरकरार है यानि उन तथ्यों को खारिज नहीं किया है। नेगी ने कहा कि मोर्चा उक्त मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगा।