देहरादून, देहरादून के शिक्षित छात्रों के संगठन, मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) संस्था ने राज्य सरकार द्वारा रिस्पना पुनर्जीवन पर खोखले वादे करने पर उसकी निंदा की गई। मैड ने ऐलान किया कि अपने 100 स्वयंसेवियों के संग रिस्पना के सबसे दूषित क्षेत्र दीपनगर में रविवार सुबह नदी में उतर कर सफाई अभियान चलाने की तैयारी में है। छात्रों ने आव्हान किया की अधिक दूनवासी पर्यावरण संगरक्षण के इस अभियान से जुड़कर इसे एक मुहिम का रूप देने में सहायता करें।
उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता मंे मैड के पदाधिकारियों ने कहा कि विगत सात वर्षों से रिस्पना और बिंदाल नदियों के पुनर्जीवन हेतु व्यापक जन अभियान चला रही है। इसी के कारण 2014 में राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की ने इन नदियों पर शोध कर अपनी रिपोर्ट में रिस्पना के पुनर्जीवन होने की सम्भावनाओं पर मुहर लगा दी थी। इसी के बाद वर्ष 2016 में भारत सरकार ने इन दोनों नदियों को गंगा बेसिन का भाग चिन्हित किया था और उस आदेश की एक प्रति मैड से भी सांझा करी थी। वर्ष 2017 में जैसे ही नई सरकार बनी, मैड का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला और रिस्पना पुनर्जीवन की ओर उनका ध्यान आकर्षण करने की चेष्टा की। इसी के फल स्वरूप सरकार द्वारा मैड को शामिल करते हुए जुलाई 2018 तक कई बैठकें और वृक्षारोपण किया गया। लेकिन जुलाई के बाद सरकार की इच्छशक्ति इस बात से प्रमाणित होती है की उनकी ओर से अभियान बिल्कुल थम सा गया है। इसके उलट पर्यावरण विरोधी अध्यादेश लाकर सरकार ने अपनी असल मंशा साफ कर दी। मैड की ओर से लगातार नदी की सफाई, नालियों के ट्रीटमेंट, स्त्रोतों के उपचार, जल वैज्ञानिक शोध को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है लेकिन पहले से सरकारी विभाग रिस्पना की एवज में केवल अपना बजट बढाने में रूचि रखते आये है। किसी को रिस्पना पर डैम बनाना है तो किसी को रिस्पना के स्रोत को सहस्त्रधारा को तर्ज पर विकसत करना है। मैड ने इसे विनाशकालय विपरीत बुद्धि सोच करार दिया। मैड ने बताया की कहाँ एक ओर साल की शुरुआत में स्वयं मुख्यमंत्री ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मैड को रिस्पना का भविष्य पास लाने पर बधाई दी थी, लेकिन उसके आगे कुछ न होने से संस्था को निराशा ही हाथ लगी है। मैड ने यह भी बताया की जुलाई में जहां पौधे रोपे गए, उनकी एक टुकड़ी उन क्षेत्रों का जायजा नवम्बर अंत में लेकर आई है और उसने पाया की तपोभूमि आश्रम सहित कई क्षेत्रों में बिना किसी रख रखाव के कारण वह पौधे बचने में असमर्थ रहे। गायत्री, जिसकी रिस्पना पर चिट्ठी ने प्रधानमंत्री की मन की बात में जगह पाई थी, वह मैड की सदस्य है और उसने भी अन्य सदस्यों के साथ इस बात पर जोर दिया की कैसे सरकार को अपनी निद्रा तोड़ने की आवश्यकता है। मैड की ओर से गायत्री, चेतना भट्ट, मोहित अरोड़ा और विनोद बगियाल, समेत अन्य ने मीडिया को सम्बोधित किया।