देहरादून, कांग्रेस महासचिव व पूर्व सीएम हरीश रावत ने इनवेस्टर्स समिट पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने इसके लिए होमवर्क नहीं किया। इसमें सिर्फ पब्लिसिटी ही अधिक नजर आई। कुछ सेक्टर में अच्छा काम हो सकता था, लेकिन इसके लिए भी जमीनी स्तर पर प्रयास नहीं नजर आए।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि उद्योगों को लेकर बेहतर माहौल बन सकता था, लेकिन पहले से ही टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक व एजुकेशन को लेकर जिस तरह के प्रस्ताव तैयार थे। इस पर भी आगे काम नहीं हुआ। ईको इंडस्ट्रियल जोन को लेकर भी रूपरेखा नजर नहीं आई। यह सब जुमला ही है। रावत ने इस तरह के आयोजन को 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी करार दिया और कहा, इस इनवेस्टर्स समिट में 300 से 400 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। इससे केवल देहरादून की सड़कें चमका दी गई। इससे बाहर प्रदेश में कहीं कुछ भी काम नहीं हुआ।
मिशन 2018 को लेकर रावत ने कहा कि कांग्रेस की तैयारी भी युद्धस्तर पर जारी है। सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन चल रहे हैं। प्रदेश में तमाम नेताओं के बीच मनभेद व मतभेद के सवाल को लेकर रावत ने कहा कि यह सब राजनीतिक स्टंट है, जुमलेबाजी है। इनका कोई अर्थ नहीं होता है। स्वार्थों की टकराहट के चलते ही ऐसा होता है। आखिर में सभी को एक झंडे व एक नेता के नीचे ही खड़ा होना होता है। चंद लोग ही इस तरह की हरकतें करते हैं।
मिशन 2018 को लेकर रावत ने कहा कि कांग्रेस की तैयारी भी युद्धस्तर पर जारी है। सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन चल रहे हैं। प्रदेश में तमाम नेताओं के बीच मनभेद व मतभेद के सवाल को लेकर रावत ने कहा कि यह सब राजनीतिक स्टंट है, जुमलेबाजी है। इनका कोई अर्थ नहीं होता है। स्वार्थों की टकराहट के चलते ही ऐसा होता है। आखिर में सभी को एक झंडे व एक नेता के नीचे ही खड़ा होना होता है। चंद लोग ही इस तरह की हरकतें करते हैं।