–रोप-वे के निर्माण पर मजदूरों ने उठाये सवाल
रुद्रप्रयाग, विश्व प्रसिद्ध तीर्थ धाम केदारनाथ धाम में तीर्थ यात्रियों की सुविधा को देखते हुए सरकार ने गौरीकुंड से रामबाड़ा रोप-वे के निर्माण का निर्णय लिया है, जबकि 2002 से तत्कालीन तिवारी सरकार ने भी गौरीकुंड से रामबाड़ा रोप-वे निर्माण का ऐलान किया था, लेकिन 16 साल बाद फिर भाजपा सरकार ने यात्रियों की सुविधा को देखते हुये रो-वे निर्माण को हरी झंडी दे दी। केदारनाथ यात्रा से पन्द्रह हजार मजदूर जुड़े हुये हैं और मजदूरों को यह भय सताने लगा है कि रोप-वे का निर्माण होने से मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे।
केदारनाथ यात्रा से जुड़े मजदूरों ने रोप-वे का विरोध करते हुये स्पष्ट कहा कि सरकार रोप-वे निर्माण से पहले मजदूरों के भविष्य पर भी विचार करे। 2013 की आपदा से प्रभावित मजदूरों ने कहा कि सरकार को हवाई सेवाएं एवं रोप-वे निर्माण के बजाय गौरीकुंड से केदारनाथ मोटरमार्ग का निर्माण करना चाहिए। पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं मजदूर नेता गोविंद सिंह रावत ने कहा कि केदारनाथ यात्रा से हजारों मजदूरों का भविष्य जुड़ा हुआ है और सरकार को रोप-वे निर्माण से पहले मजदूरों के चैपट होते रोजगार पर भी सोचना चाहिये। उन्होंने कहा कि 2013 की दैवीय आपदा से मजदूर अभी तक उभर नहीं पाये हैं और रोप-वे का निर्माण होने से मजदूरों का असित्तव ही समाप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि पहले सरकार ने हवाई सेवा शुरू कर मजदूरों को धक्का खाने के लिये मजबूर कर दिया है और अब रोप-वे के निर्माण से यात्रा से जुड़े मजदूर दो रोटी नसीब के लिये भी मोहताज हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार को हवाई सेवा एवं रोप-वे के निर्माण करने के बजाय गौरीकुंड से केदारनाथ मोटरमार्ग का निर्माण करना चाहिये, जिससे मजदूर यात्रा मार्ग पर अपना व्यवसाय कर सकें, लेकिन सरकार मोटरमार्ग निर्माण के बजाय रोप-वे का निर्माण करने जा रही है। श्री रावत ने कहा कि सरकार ने हवाई सेवाएं बंद और रोप-वे का निर्माण मजदूरों के विरोध के बाद भी किया तो सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा जायेगा। उन्होंने कहा कि सालों से जनता सड़क की मांग को लेकर अपनी बात रख चुकी है, लेकिन सड़क निर्माण के बजाय बाहरी धन्ना सेठों को यहां लाकर यहां के बेरोजगारों के रोजगार को छीनने का प्रयास कर रही है, जिसे मजदूर कभी भी बर्दाश्त नहीं करेंगे।