देहरादून, ’’ विजन-नागरिक-केन्द्रित सेवाओं को प्रभावशाली एवं समयोचित तरीके से प्रदान करने हेतु सुशासन सुनिश्चित करना’’ और ‘‘मिशन-नागरिकों को नागरिक केन्द्रित सेवाओं को अधिकार के रूप में माग करने हेतु प्रेरित करना तथा सेवा प्रदाता तंत्र को नागरिकों के प्रति उत्तरदायी एवं जवाबदेयी बनाना’’ विषय पर केन्द्रित उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार अधिनियम-2011 की जनपद स्तरीय 10 वीं कार्यशाला का आयोजन ई.सी रोड स्थित आईआरडीटी आॅडिटोरियम में मुख्य आयुक्त उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
मुख्य आयुक्त उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग आलोक कुमार जैन ने अपने उद्घाटन संबोधन में नागरिक केन्द्रित प्रशासन की सोच विकसित करने और नागरिक सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग, उसी अनुसार पूरे तंत्र को ढालने और गुणवत्तापूर्ण सेवा के मार्ग में आने वाले अवरोधों की ओर ध्यान दिलाते हुए उनको दूर करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सेवा प्रदाता के रूप में हमारा तन्त्र और हमारी नियत में बड़े स्तर पर बदलाव करने की जरूरत है। उन्होंने सुनवाई के दौरान प्राप्त हुए अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि फिल्ड के कार्मिकों (तहसील/विकासखण्ड स्तर पर ) बहुत सी खाॅमियां विद्यमान हैं। नागरिकों को सेवा प्राप्त करने में लम्बा समय लग रहा है और अनावश्यक खर्च भी हो़ रहा है और सेवा का यह स्तर ग्रामीण क्षेत्रों में और बद्तर है। विभागों और फिल्ड के कार्मिकों के स्तर पर अनेक कमियाॅं उजागर हुई हैं, जिसके अन्तर्गत विभिन्न नियमावली और जीओ की अवधारणा की सही समझ न होना पुरानी प्रक्रिया को बरकरार बनाये हुए है, अपने सेवाग्राही की फिल्ड में विजिट न करने के कारण सही पहचान न होना, खराब रिकार्ड किपिंग, सेवाग्रही को सेवा के सम्बन्ध में स्पष्ट जानकारी देने के लिए मैकेनिज्म का अभाव नजर आता है। उन्होंने निर्देश दिये कि गुड गवर्नेंस को चरितार्थ करने के लिए वर्तमान तन्त्र और हमारी प्राथमिकता दोनो स्तर पर व्यापक बदलाव करने की जरूरत है। सेवा की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए आवेदन प्राप्ति से लेकर विभिन्न चैनल तक गुजरने का प्राॅपर रिकार्ड और समय सीमा निर्धारित हो, डीजी लाॅकर और इन्टरनेट के आधुनिक उपयोगी साॅफ्टवेयर को नागरिकों सेवाओं की सुलभ उपलब्धता के लिए उसमें आवश्यकतानुसार बदलाव हो और फिल्ड में कार्मिकों का तकनीक और नये प्रोसेज को फाॅलो करने के लिए प्रशिक्षण का आयोजन किया जाय। उन्होंने उदाहरण दिया कि वर्तमान समय में बहुत सी सेवाओं हेतु आय प्रमाण पत्र का प्रयोग होता है, जिसकी अवधि 6 माह होती है और कई कारणों के चलते जब तक प्रमाण पत्र लक्षित सेवा लेने के लिए पदभिहीत अधिकारी के कार्यालय तक पंहुचता है तो तब तक उसकी मियाद ही समाप्त हो जाती है। अतः उन्होनें आय प्रमाण-पत्र की अवधि 6 माह से बढाये जाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने इस दौरान विभिन्न पदाधिकारियों और सामान्यजन द्वारा उठाये गये प्रश्नों का जवाब देते हुए संतुष्ट किया और सभी विभागीय अधिकारियों और उपस्थित पदाधिकारियों से नागरिकों को सेवा की गुणवत्ता और सुलभता सुनिश्चित करने के लिए समग्रता, पारदर्शिता, निष्पक्षता, वैधानिकता और जवाबदेही से कार्य करने की अपील की। आयुक्त/सदस्य उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग डी.एस गब्र्यालय ने अपने सम्बोधन में कहा कि आयोग वर्तमान में 23 विभागों की कुल 217 सेवाएं अधिसूचित है और आयोग का प्रयास अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं को भी अधिूचित करने का है और समय-समय पर आयोग को प्राप्त होने वाले सुझावों पर भी संज्ञान लेते हुए आयोग कार्य करता है। इसी क्रम में आयोग ने शासन को बहुत सी अनुकरणीण सिफारिशें भी प्रेषित की हैं, जिनका नागरिक सेवाओं के सुधारीकरण में बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में आयोग वीसी की सुविधा भी उपलब्ध करा रहा है और पेन्डिंग मामलों पर प्राथमिकता से सुनवाई करते हुए जनता को त्वरित सेवा प्रदान करने के लिए प्रयासरत है।
इस अवसर पर जिलाधिकारी एस.ए मुरूगेशन ने कहा कि हमें यह देखने की जरूरत है कि वर्तमान समय में नागरिक सेवायें प्रदान करने के लिए आईटी (तकनीक) का कितना प्रयोग हो रहा हैऔर उसका क्या स्तर है। हमें यह कोशिश करनी है कि हम आईटी को नागरिक सेवाओं के क्रम में कैसे अधिक उपयोगी बना सकते हैं। हमारा अभी तक का जो अनुभव है उसमें आवेदक को सेवा प्राप्त करने मे ंपूरे डाउन से अप और अप से डाउन तक जाने में बहुत समय लग रहा है। आईटी हमें उसके समय व खर्च को बचा सकता है। इसलिए जरूरी हो जाता है कि विभिन्न साॅफ्टवेयर में जो संशोधन की जरूरत है, उसमें आवश्यकता अनुसार संशोधन किया जाना चाहिए और विभिन्न विभागों को भी आपसी समन्वय को और अच्छा करना होगा तथा संवेदनशील रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें उन देशों और राज्यों की कार्यप्रणाली को भी अपनाना चाहिए जहां नागरिक सेवाओं को प्रदान करने का तन्त्र अधिक दुरूस्त है और हमें उसी अनुसार अपना माइन्ड सैट चैन्ज करने की भी जरूरत है। नई तकनीक और नियमांे से तालमेल बैठाने के लिए हमें व्यक्तिगत स्तर पर तथा सामूहिक दोनों स्तर पर लगातार नया सीखते रहाना होगा और नई तकनीक से अपडेट रहकर कुशल प्रशासन में भागीदारी करनी होगी। उन्होंने आयोग को आश्वाासन दिया कि जनपद में सभी विभागीय स्तर पर और क्षेत्र में आज कार्यशाला में सामने आये बिन्दुओं को गम्भीरता से लेते हुए सुधार के प्रयास किये जायेंगे।
शासन से प्रतिनिधि अपर सचिव अररूणेन्द्र चैहान ने कहा कि हमारी प्राथमिकता उस व्यक्ति की समस्या के समाधान की होनी चाहिए, जो हम तक नही पंहुच पाता। दुर्भाग्य से हम उन्हें प्राथमिकता देते हैं जो किसी माध्यम से हम पर दबाव डालकर कार्य करवाता है और हमारी मानसिकता भी वही ब्रिटिश टाइम वाली हो चली है कि जो दबाव डालने में सक्षम होगा उसी को वरीयता देंगे। सेवा की गुणवत्ता सुधारने में ‘स्व सत्यापन’ बड़ा सहायक सिद्ध हो सकता है और जब भारत सरकार द्वारा भी लगभग सभी तरह के आवेदनों में स्व सत्यापन मान्य किया जा चुका है, ऐसे में प्रदेश में स्व सत्यापन की प्रक्रिया को उस स्तर तक मान्यता ना मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अनेक अवसरों पर आवेदन बहुत छोटी सी औपचारिकताओं की बदौलत पेन्डिंग में अथवा अस्वीकृत किया जाता है जो थोड़ा व्यवहारिक व विवेकशील अप्रोच के माध्यम से भी निस्तारित हो सकता है। उन्होंने सर्विस डिलिवरी मैकेनिज्म सुलभता हेतु वर्तमान कार्यप्रणाली में सुधार करते हुए तकनीक का उपयोग करते हुए कार्य करने पर बल दिया।
इस अवसर पर आयोग के सचिव पंकज नैथानी ने आयोग द्वारा पूर्व में निस्तारित किये गये प्रकरणों, जनता को जागरूक करने के लिए किये गये प्रयासों, सेवा की गुणवत्ता सुधारने हेतु लिए गये इनीशिएटिव के साथ ही विभिन्न विभागों के प्रकरणों के निस्तारण के दौरान आयोग के सामने आये प्रमुख बिन्दुओं /अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि पदाभिहित अधिकारी (सेवा प्रदाता कार्यालयों) में अनिवार्य रूप से नोटिस बोर्ड चस्पा हो जिस पर समस्त अधिसूचित सेवाएं, सेवावार आवश्यक कागजात, फीस, समय-सीमा आदि सभी का अंकन हो। आवेदक को निर्धारित प्रारूप में पावती दी जाय, रिकार्ड किपिंग व्यवस्थित व नियमित रहे। कार्यालयों में मध्यस्थों/एजेंटो/दलालों आदि से मुक्त करने के प्रयास हों, सेवा प्रदाता से सौहार्दपूर्ण, सहायोगी, सहायताकारी व्यवहार किया जाय और आवेदन को रिजैक्ट करने की स्थिति में आवेदक को औपचारिकताएं पूरी करने का पर्याप्त अवसर और उसे सूचना देने का माध्यम दुरूस्त करने पर बल दिया जाना चाहिए। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी जी.एस रावत, नगर मजिस्टेªट मनुज गोयल, डीडी एनआईसी के.आर नारायण, अपर जिलाधिकारी बीर सिंह बुदियाल एवं अरविन्द पाण्डेय सहित जनपद के उच्चस्थ व अधीनस्थ अधिकारी, कार्मिक, गैर सरकारी संगठन के सदस्य मीडिया और अन्य सम्बन्धित पदाधिकारी उपस्थित थे।