देहरादून उत्तराखंड में जहां वर्तमान समय में हजारों पद शिक्षकों के खाली पड़े हैं वहीं उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय का कहना कि उत्तराखंड में फिलहाल शिक्षकों की जरूरत शिक्षा के अधिकार कानून के तहत नहीं है। शिक्षकों की कमी जहां सरकारी स्कूलों में छात्र और अभिभावक महसूस कर रहे हैं, वहीं हाईकोर्ट भी इस कमी को महसूस करता है…यही वजह है कि पिछले साल भी और इस साल भी गेस्ट टीचरों की सुनवाई के दौरान सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने स्थाई शिक्षकों की भर्ती करने के निर्देश सरकार को दिए हैं लेकिन शिक्षा मंत्री को नहीं लगता है कि उत्तराखंड में नए शिक्षकों की जरूरत फिलहाल है।
बयान के पीछे क्या है वजह
प्रदेश के कई स्कूल शिक्षक विहीन हैं, ऐसे में शिक्षा मंत्री के इस बयान के पीछे की वजह को क्या माना जाए इसका जवाब भी शिक्षा मंत्री दे रहे हैं. शिक्षा मंत्री का कहना कि आरटीई यानी शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 30 छात्रों पर प्रति टीचर की आवश्यकता होती है, ऐसे में अगर उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों पर गौर फरमाया जाए तो प्रदेश बनने के बाद सरकारी स्कूलों से छात्र संख्या घटी है, वहीं शिक्षकों के पद राज्य गठन के बाद ज्यादा बढ़ें हैं।
जल्द श्वेत पत्र होगा जारी
शिक्षा मंत्री पाण्डेय का कहना कि जल्द उत्तराखंड में शिक्षकों और छात्र संख्या के अनुपातिक हिसाब से श्वेत पत्र जारी होंगे. जिसमें राज्य गठन के बाद छात्र संख्या और स्वीकृत पद और वर्तमान समय में छात्र संख्या और वर्तमान स्वीकृत पदों को आंकलन किया जाएगा। अगर आंकड़ों के हिसाब से उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या के हिसाब से ज्यादा शिक्षक पाएं गए तो फिर शिक्षकों की भर्ती नहीं की जाएंगी और अनुपातिक दृष्टि से छात्र संख्या ज्यादा और शिक्षक कम पाए गए तभी शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय का ये भी मानना है कि अभी स्कूलों में छात्र संख्या और शिक्षकों के पदों को लेकर सामन्जस्य नहीं है, कहीं ज्यादा छात्र है तो शिक्षक कम है और कहीं छात्र कम हैं तो शिक्षक ज्यादा…इसमें भी सुधार किया जाएगा।
क्या कहते है आंकड़े
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद सरकारी स्कूलों से तेजी से छात्र संख्या में गिरावट आ रही है, जो एक चिंता का सबब सरकारी स्कूलों के अस्तित्व लेकर बनाता जा रहा है. शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय के साथ सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस को लेकर सार्वजनिक मंचों से अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं।
प्राईवेट स्कूलों की लूट के बाद भी अभिभावक अपने बच्चों को प्राईवेट स्कूलों में पढ़ा रहे हैं
चिंता इस बात को लेकर भी है कि प्राईवेट स्कूलों की लूट के बाद भी अभिभावक अपने बच्चों को प्राईवेट स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक अभी प्रदेश में 45 प्रतिशत छात्र जहां सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं वहीं 55 प्रतिशत छात्र प्राईवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं। वर्तमान में सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या करीब 11 लाख के आस पास है। जबकि सरकारी स्कूलों में प्राथमिक से लेकर इंटर काॅलेज तक शिक्षकों का आंकड़ा 60 हजार के आस पास है। शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय के बयान पर गौर फरमाएं तो 30 छात्र पर एक शिक्षक होना चाहिए तो अभी वर्तमान में बरीब 19 छात्रों पर सरकारी स्कूलों में एक शिक्षक पढ़ा रहा है। हांलाकि आरटीई के मानक 8 कक्षा तक ही लागू होते हैं। लेकिन इतना कहा जा सकता है कि छात्र संख्या के हिसाब से शिक्षकों विभाग ने शिक्षकों को एडजस्ट नहीं किया है वरना शिक्षकों की कमी कुछ कम नजर आती।