चमोली देवभूमि खबर। जिलाधिकारी आशीष जोशी की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा 15 मई से 30 जून तक जिले भर में तैनात 40 जलदूतों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण के संबध में लोगों को जागरूक किये गये जलदूतों के कार्यो की समीक्षा कार्यशाला आयोजित की गयी। जिलाधिकारी ने जलदूतों से ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण के संबध में उनके व्यक्तिगत अनुभव, समस्याओं एवं सुझावों की जानकारी ली ।
जिलाधिकारी ने कार्यशाला में जल संरक्षण के उपाय और उससे होने वाले लाभ के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जिस हिसाब से जनसंख्या बढ रही है आने वाले समय में लोगों को पानी की भारी किल्लत का समना करना पड सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में वाटर सेफ्टी प्लान तैयार करने की आवश्यकता है। आने वाले 5 वर्षो में कितने पानी की आवश्यकता होगी इस बारे में डिमांड एवं सप्लाई को देखकर प्लान तैयार कर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज हमें अपने प्राकृतिक जल स्रोतों, नौले धारों को संजोकर रखने तथा अधिक से अधिक चाल-खाल व तलाबों का निर्माण कर जल संचय करने की आवश्यकता है ताकि भावी पीढी को जल का अमूल्य तोहफा मिल सके। उन्होंने कहा कि हम सभी को पानी की बचत कर जल संचय में अपना योगदान देना चाहिए। कहा कि यह तभी संभव है जब हम अपने प्राकृतिक पेयजल स्रोत्रों का संरक्षण को लेकर गंभ्भीर होगे। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण गतिविधियों को तकनीकि से जोड़कर कम पानी से भी कृषि क्षेत्र में अच्छा उत्पादन किया जा सकता। कार्यशाल में डीडीएम नाबार्ड आशीष भण्डारी ने जल सरंक्षण एवं इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया तथा जल के दुरूपयोग को रोकने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु तीन स्वयं सेवी संस्थाओं के 40 जलदूतों के माध्यम से 15 मई से 30 जून तक जागरूकता अभियान चलाया गया। जिले में आवंटित 500 ग्रामों के लक्ष्य के सापेक्ष 518 गांवों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को प्राकृतिक जल स्रोतों एवं जल संरक्षण के उपाये बताये गये। जागरूकता अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय जन प्रतिनिधियों, स्वयं सहायता समूहों को प्राकृतिक एवं वर्षा जल संरक्षण की जानकारियां दी गयी। उन्होंने कहा कि पानी की आपूर्ति, जल सरंक्षण एवं ग्रामीणों की समस्याओं की ब्लाकवार विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर जिला प्रशासन को दी जायेगी। जिससे कृषि, सिंचाई, पेयजल एवं जल संचय के संबध में विभागों के माध्यम से ठोस रणनीति के साथ दीर्घकालीन योजनाऐं बनायी जा सके। कृषि एवं भू-संरक्षण अधिकारी ने कार्यशाला में प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण की तकनीकि के बारे विस्तार से जानकारी दी। एनजीओं के प्रतिनिधियों ने जल संरक्षण के प्रति ग्रामीण क्षेत्रों की समसस्याऐं, सुझाव देते हुए अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर डीजीएम नाबार्ड वाईपी अग्रवाल, डीडीएम नाबार्ड आशीष भण्डारी, सीईई के टेक्निकल स्पोर्ट विशेषज्ञ सुमित वर्मा, यूजीबी के रीजनल मैनेजर केएम शर्मा, जिला सहकारी बैंक के डीजीएम मुखराम, कृषि एवं भू-संरक्षण अधिकारी डीपी सिंह सहित एनजीओ के प्रतिनिधि मौजूद थे।