देहरादून, स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की स्थिति देखकर ऐसा लग रहा है कि वह बेमन से चुनाव मैदान में है। राज्य में विपक्षी पार्टी के लिए मुद्दों की भरमार है, लेकिन फिर भी कांग्रेस एक भी मामले पर आक्रामक रुख नहीं अपना पाई या उसे भुना नहीं पाई है। वैसे भी निकाय चुनाव में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के अलावा अभी कोई बड़ा नेता सक्रिय होता नही दिखाई दे रहा। चुनावी समर में संगठन की गतिविधियां भी ढीली ढाली सी देखने को मिल रही है। चुनाव में कांग्रेस के भीतर लीडरशिप की कमी खल रही है। ऐसे में कांग्रेस की यह कमी बीजेपी के लिए तो वरदान साबित हो ही रही हैं साथ ही आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रही रजनी रावत के लिये भी संजीवनी से कम नहीं है।
उत्तराखंड में होने वाले निकाय चुनाव सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती साबित होने चाहिए थे लेकिन विपक्षी कांग्रेस के हमलों में धार नजर नहीं आ रही। प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास मुद्दे तो हैं लेकिन पार्टी इन मुद्दों को ठीक से भुना नहीं पा रही है। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के दावा करते हैं कि कांग्रेस ने जनहित हर के मुद्दे पर बीजेपी सरकार को घेरा है। प्रीतम सिंह कहते हैं कि राज्य और केंद्र की सरकारें लगातार जनविरोधी फैसले ले रही हैं और कांग्रेस कार्यकर्ता इन मुद्दों के लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। प्रदेश में बीजेपी इसलिए भी मजबूत दिखाई दे रही है क्योंकि क्योंकि कांग्रेस के बहुत से बड़े नेता बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षक कहते हैं कि कांग्रेस मुद्दों को उस तरह कैश नहीं कर पाती जैसे कि बीजेपी। बीजेपी के संगठन मंत्री पर यौन शोषण के आरोप के मामले को भी पार्टी ठीक से भुना नहीं पाई और बीजेपी ने संगठन मंत्री को ‘ससम्मान’ विदाई दे दी। इसीलिए बीजेपी ज्यादा आश्वस्त भी दिखती है। ऐसा लग रहा है कि प्रीतम सिंह अकेले ही कांग्रेस की तरफ से मोर्चा संभाले हुए हैं और इसीलिए बीजेपी उनकी घेराबंदी करने में, उनके हमलों को आसानी से झेल लेने में अब तक कामयाब दिख रही है। इन स्थानीय निकाय चुनावों में जीत 2019 के लिए कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम करेगी। अब यह देखने वाली बात होगी कि निकाय चुनाव में भाजपा आगे रहती है या फिर कांग्रेस।