-एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस की ओर से हुए सर्वेक्षण का खुलासा
देहरादून, भारतीयों के लिए अपने जीवन के प्रमुख लक्ष्यों की योजना बनाने के लिए जीवन बीमा सबसे पसंदीदा वित्तीय साधन है। जैसे घर बनाना (43 फीसदी), बच्चों की शिक्षा (38 फीसदी), सेवानिवृत्ति (49 फीसदी) और विरासत तैयार कना (50 फीसदी)। जब बच्चों के विवाह की योजना बनाने की बात आती है तो वे जीवन बीमा के अलावा सावधि जमा पर भरोसा करते हैं। 30 फीसदी उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि जीवन बीमा कवर कितना आवश्यक है, इससे पता चलता है कि भारतीयों के बीच अपनी सुरक्षा को लेकर कितनी लापरवाही है। उपरोक्त निष्कर्ष, एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस की ओर से किए गए 2018 मनी हैबिट्स सर्वे के कई निष्कर्षों में से एक है। सर्वेक्षण का उद्देश्य वित्तीय जिम्मेदारी और समझ को लेकर भारतीयों की धारणाओं को सामने लाना था।
डिजिटल सर्वेक्षण में महानगरों और उभरते टीयर 2 शहरों सहित 12 शहरों के उत्तरदाताओं को शामिल किया गया। एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस ने यह सर्वेक्षण यह समझने के इरादे से शुरू किया कि जीवन बीमा करवाने वाले या इसमें शामिल होने के लिए इच्छुक लोग अपने धन के नियोजन को लेकर क्या सोचते हैं। जीवन के प्रमुख लक्ष्यों की योजना बनाते समय वे कौन से वित्तीय साधनों पर ध्यान देते हैं ? वे अपने परिवारों को कितनी अच्छी तरह से सुरक्षित कर रहे हैं? वर्तमान में उनके पास कितना जीवन बीमा कवर है और इसे कितना होना चाहिए, इसे लेकर उनकी सोच क्या है? वित्तीय जिम्मेदारी पर भारतीयों के रवैये को समझने के लिए सर्वेक्षण में हर संभावित दृष्टिकोण विचार किया गया है। सर्वेक्षण के विभिन्न उप-भागों से, यह स्पष्ट हुआ है कि कि भारतीय शायद ही कभी वित्तीय जिम्मेदारी की संपूर्णता को कवर करते हैं। 2018 मनी हैबिट्स सर्वेक्षण में सामने आया है कि परिवार के एक आय अर्जक के रूप में, भारतीयों का झुकाव सिर्फ कमाने, बचत करने और जीवन के लक्ष्यों के लिए निवेश करने की हद तक है। एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस में मार्केटिंग और डायरेक्ट चैनल के निदेशक मोहित गोयल ने कहा, ‘समझने के लिहाज से वित्तीय जिम्मेदारी एक जटिल अवधारणा हो सकती है क्योंकि वित्तीय जिम्मेदारी लगातार बदलती रहती है। वित्तीय जिम्मेदारी की अवधारणा, पर्याप्त जीवन बीमा कवर के माध्यम से सुरक्षा के विचार के साथ भी जुड़ी हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण 2018 में कहा गया है कि भारत में वर्तमान जीवन बीमा पैठ अन्य विकासशील देशों की तुलना में 3 फीसदी 2 से कम है। इसकी पुष्टि हमारे 2018 मनी हैबिट्स सर्वेक्षण के निष्कर्षों से भी होती है, जिसमें सर्वेक्षण में शामिल भारतीयों के 30 फीसदी के साथ व्यक्तिगत बीमा कवर को लेकर अभी भी अनिश्चितता है। भारत सरकार के साथ-साथ बीमा उद्योग द्वारा वित्तीय साक्षरता पर जोर देने के बावजूद, लोग अभी भी अपने और अपने परिवार के लिए आवश्यक सुरक्षा के स्तर को मापने में असमर्थ हैं। सर्वेक्षण में शामिल 46 फीसदी भारतीयों को लगता है कि जीवन बीमा कवर को उनकी वार्षिक आय का कम से कम 10 गुना होना चाहिए, लेकिन केवल 29 फीसदी व्यक्तियों के पास ही ऐसा कवर है। आज, वित्तीय जिम्मेदारी में कमाई, बचत, रिकॉर्ड रखने और अपने परिवार के साथ वित्तीय व्यवहार को साझा करने वाला बहु-आयामी दृष्टिकोण शामिल है। इस तथ्य के बावजूद कि आपके वित्तीय व्यवहारों के रिकॉर्ड को बनाए रखना आवश्यक है ताकि वे आवश्यकता के समय में आपके और आपके परिवार के पास सुलभ हों, सर्वेक्षण में शामिल लोगों का लगभग 30 फीसदी ऐसा कोई रिकाॅर्ड नहीं रखता और 15 फीसदी को लगता है कि ऐसा कोई रिकाॅर्ड रखना महत्वपूर्ण नहीं है। सर्वेक्षण से पता चला कि भारतीयों को इस बात का एहसास नहीं है कि उनके परिवार के लिए उनके धन के बारे में जानना कितना महत्वपूर्ण है; सर्वेक्षण में शामिल 37 फीसदी भारतीयों ने स्वीकार किया कि वे अपने परिवारों को अपने वित्तीय व्यवहार के बारे में कुछ नहीं बताते।
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   सर्वेक्षण के निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि 55 फीसदी उत्तरदाताओं ने अपने वित्तीय व्यवहार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी के साथ एक भौतिक डायरी को बनाए रखा है। 1; 38 फीसदी एक एक्सेल फ़ाइल के रूप में जबकि 15 फीसदी किसी मोबाइल ऐप पर अपने वित्तीय व्यवहार का रिकाॅर्ड रखते हैं। सर्वेक्षण में शामिल 66 फीसदी भारतीय अपने जीवन बीमा पॉलिसी बॉन्ड की भौतिक प्रति रखते हैं, केवल 8 फीसदी ने अपनी पाॅलिसी को ई-बीमा खाते से जोड़ा है। जबकि भारतीय लोग अपनी विरासत को अर्जित करने, सहेजने और बनाने में व्यस्त हैं, वहीं 72 फीसदी एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू को नहीं देख रहे हैं, वह है अपनी वसीयत तैयार करना। यह वसीयत के महत्व के बारे में जानकारी होने के बावजूद हो रहा है। हैरानी की बात है, 45 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में भी, वसीयत तैयार रखने का चलन नहीं है। इस सर्वेक्षण से पता चलता है कि वित्तीय साक्षरता के संदर्भ में आज भी भारतीयों को जागरूक किए जाना और संबंधित उपायों का लागू किए जाना जरूरी है।