नई दिल्ली, 19 नवम्बर: करीब 15 महीने से ज्यादा समय से कृषि कानून बिलों को वापस लेने की मांग पर दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए किसानों के आगे आज सरकार ने घुटने टेक दिए। आंसू गैस, पानी के प्रहार व लाठी-चार्ज के जरिये किसानों आन्दोलन को तोड़ने का कुत्सित प्रयास में नाकाम रहने के बाद आज आखिर सरकार को तीनों कृषि-कानून वापस लेने पड़े।
आज प्रकाश पर्व के मौके पर देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री तीनों कृषि कानून बिलों को वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा कि इसी महीने होने वाली संसद के सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी अपील की कि किसान अब अपने घर वापस लौट जाएं। प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि हमारी कोशिश देश के प्रगतिशील किसानों की आय बढ़ाने और किसानों को राहत देने की थी लेकिन हम कुछ किसानों को मना नहीं पाए या फिर उन्हें समझा नहीं पाए। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपज का पूरा और सही दाम मिले इसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए। हमने ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाया। हमने ना केवल एमएसपी बढ़ाया बल्कि सरकारी खरीद को भी रिकॉर्ड ऊंचाई तक लेकर गए। हमारी सरकार द्वारा फसलों की खरीद ने पिछले दशकों के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
आपको बता दें पंजाब सहित कई राज्यों में इन कृषि कानूनों का जमकर विरोध हो रहा था, जिसके चलते अब मोदी सरकार को ने यह बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण का समापन – देह सिवा बरु मोहि इहै सुभ करमन ते कबहूं न टरों – से किया।