देहरादून,  उत्तराखंड बेरोजगार महासंघ ने सेवायोजन कार्यालयों में पंजीकरण की बाध्यता को समाप्त किये जाने पर अध्यादेश लाये जाने की मांग को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। कहा कि जल्द ही इस ओर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाती है तो आंदोलन को तेज किया जायेगा।
यहां बेरोजगार महासंघ के अध्यक्ष बाॅबी कुमार के नेतृत्व में बेरोजगार जिलाधिकारी कार्यालय में इकटठा हुए और वहां पर अपनी मांगों के समाधान के लिए प्रदर्शन किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि अध्यादेश में निहित संवैधानिक एवं कमजोर पैरवी के कारण उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा वर्तमान समय में प्रदेश के सभी सेवायोजन कार्यालयों में समूह ग की परीक्षा में पंजीकरण की बाध्यता को समाप्त कर दिया है जिससे उत्तराखंड प्रदेश के समस्त जनपदों में निवास करने वाले युवाओं में भारी आक्रोश व्याप्त है। वक्ताओं का कहना है कि सीमांत हिलालयी राज्य उत्तराखंड के युवाओं को समूह ग में प्राथमिकता न दिये जाने के कारण सबके लिए रोजगार के अवसर नगण्य हो जायेंगें।
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बेरोजगारों ने कहा कि प्रदेश के भीतर रोजगार की आस लगाए व प्रादेशिक सेवायोजन कार्यालयों में पंजिकृत लाखों बेरोजगार हताशा की कगार पर खड़े हैं। बेरोजगारों ने कहा कि  बेरोजगार युवाओं को कड़कडाती ठंड में प्रदेश के अधीनस्थ  अधीनस्थ चयन आयोग, उत्तराखंड द्वारा भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी गई है बाद में आयोग ने रिक्त पदों की भर्ती संबंधी जानकारी अपनी वेबसाईट पर अपलोड की हैं। सभी बेरोजगार, रोजगार की आस में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के साथ साथ पिछले कई वर्ष से सिर्फ एक ही कार्य करते आ रहे हैं। इसमें यह बताया गया है कि संघर्ष करना पड़ता है कि पहले पदों की रिक्तता जानने के लिए लड़ें, फिर रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया शुरु करवाने के लिए लड़ें,  लंबित हो जाने वाली परीक्षाएं आयोजित करवाने के लिए संघर्ष करें, फिर परीक्षा परिणाम घोषित करवाने के लिए लड़ें और अंत में नियुक्ति पत्र पाने व नियुक्ति पाने के लिए भी लड़ें। इसमें कहा गया है कि दिन-रात का संघर्ष इसलिए भी कर पा रहे हैं कि हममें से कोई न कोई बेरोजगार सम्मानजनक सेवायोजन समूह ग में पा लेगा, क्योंकि राज्य सेवायोजन की नीति के अनुसार समूह ग की भर्ती में स्थानीय प्राथमिकता दिए जाने का प्रावधान निहित रहा है। परंतु हाल के एक न्यायिक आदेश द्वारा इस सीमांत प्रदेश के युवाओं के सपने को चकनाचूर कर रख दिया है और अब राज्य के भीतर समूह ग तक में प्रदेश के लोगों को प्राथमिकता को किनारे फेंक दिया गया है।

बेरोजगारों ने कहा कि लगातार संघर्ष करने के बाद भी विज्ञप्ति जारी नहीं की जा रही है और आयोग के सचिव कह रहे है कि सरकार से उन्हें अनुमति नहीं है।  आयोग ने जो 1800 पद बताये गये है और आयोग के सचिव व सरकार मिलकर राज्य के छात्रों को गुमराह कर रहे है और उनके पास पद है ही नहीं और न ही वह छात्रों को रोजगार देना चाहते है।  वक्ताओं ने कहा कि सरकारी विभागों की भर्तियों में राज्य के बेरोजगार नौजवान युवाओं को अपने परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और उनकी मांगों पर किसी भी प्रकार की कोई कार्ययोजना तैयार नहीं हो पा रही है और बेरोजगार युवाओं जिनके हाथ में पढ़ने क लिए किताबें होनी चाहिए थी उन्हें आंदोलन की राह पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और यह दुर्भाग्य की बात है और युवा ही इस राज्य का भविष्य है और आज उनके साथ ही उनके हितों का खिलवाड़ हा रहा है और प्रदेश में सरकारी विभागों में कर्मचारियों की भर्ती आउट सोर्सिंग या उपनल आदि एजेंसियों के माध्यम से हो रही है और इसमें भी वही लोग ही नियुक्त पा जाते है जो एजेंटों के माध्यम से होते है, यदि संविदा से पद भरें जाये तो उनकी भी उत्तराखंड भर्ती बोर्डों द्वारा परीक्षायें आयोजित करवाये और उसमें चयनित अभ्यर्थियों को रखा जाये। इस अवसर पर जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया।
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इस अवसर पर समस्त कार्यकारणी के साथ ही मनोज ध्यानी, बॉबी पंवार, लक्ष्मी प्रकाश थपलियाल, अम्बुज शर्मा, प्रदीप कुकरेती, विनोद असवाल, प्रभात डंडरियाल, चतुर सिंह नेगी, मनोज कुमार बडोला, राजेन्द्र नेगी, सुनील चौहान, रवि भंडारी, निशांत, नारायण चौहान, कमल काँत, पुरूषोत्तम सती ,निशांत,नवीन,कैलाश,निरंजन,खेमराज,शुभम,प्रदीप,चन्दन,मदन बिष्ट सहित अनेकों बेरोजगार शामिल थे।
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