हल्द्वानी घटना की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराने की मांग

देहरादून, 11 फ़रवरी : जमीअत उलेमा-ए-हिन्द उत्तराखण्ड की और से उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग व उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग को पत्र लिख नैनीताल जनपद के हल्द्वानी में हुई घटना की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराने की मांग की गई है।
रविवार को जमीअत उलेमा-ए-हिन्द उत्तराखण्ड के प्रदेश महासचिव मौलाना शराफत अहमद कासमी ने महामहिम राज्यपाल राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) को 10 सूत्रीय मांग पत्र लिख कर कहा कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष न्यायिक जांच होनी चाहिए।
      मौलाना शराफत ने कहा कि हल्द्वानी शहर के बनभूलपुरा क्षेत्र में 8 फरवरी 2024 को अतिक्रमण हटाने को लेकर हुई घटना में 6 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक घायल हैं, हम उक्त घटना की कड़े शब्दों में निन्दा करते है, और अफसोस का इजहार करते हैं। इस प्रकार की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं, उत्तराखंड के इतिहास में इस तरह की हिंसा की घटना पहली बार हुई है। किसी भी सूरत में कानून अपने हाथ में लिये जाने और सरकारी व निजी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने का जमीअत विरोध करती है। क्षेत्र में शांति व्यवस्था स्थापित कराने और उक्त प्रकरण की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराने की मांग करते हुए निम्न बिन्दुओं पर आप का ध्यान आक्रषित कराना चाहते है। हल्द्वानी शहर के 132 बागों को 40-40 बिघा के पट्टों में विभाजित करते हुए 90 साल की लीज दी गई थी, हल्द्वानी के थाना बनभूलपुरा क्षेत्र के अन्तर्गत मलिक का बगीचा भी इसी में शामिल है, जहा बड़ी संख्या में आबादी हो चुकी है। लीज समाप्त हो चुकी हैं, नगर निगम प्रशासन की और से पूरी बस्ती को छोड़कर मलिक के बगीचे में स्थित मस्जिद और मदरसे को ही हटाने की जिद रखी गई, जो जांच का विषय है। हल्द्वानी के थाना बनभूलपुरा क्षेत्र के अन्तर्गत मलिक के बगीचे में स्थित मस्जिद और मदरसे को दिनांक 8 फरवरी 2024 को नगर निगम द्वारा बुलडोजर से धवस्त कर दिया गया। जबकि उक्त मामले में उच्च न्यायालय में 14 फरवरी 2024 को सुनवाई होनी तय थी। यह स्थान मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित है और 1937 से मुस्लिम पक्ष द्वारा लीज पर लिया हुआ था। उसके बावजूद जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा उतावला पन दिखाया गया। जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा कार्रवाई से पहले स्थानीय गणमानीय लोगों को विष्वास में नही लिया गया, ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर स्थानीय समुदाय की भावनाओं पर विचार करना महत्वपूर्ण है। भारत जैसे विविध और बहुलवादी समाज में धार्मिक स्थलों का विध्वंस हमेशा गहरी संवेदनशीलता का विषय रहा है। उचित होता कि स्थानीय लोगों को विष्वास में लिया होता तो उक्त घटना न होती।
    नगर निगम के नगर आयुक्त पंकज कुमार उपाध्याय और सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह का 30 जनवरी 2024 को तबादला हो गया था। ( प्रति संलग्न) उसके बावजूद भी उक्त दोनों अधिकारी अभी तक अपने पदों पर क्यों बने हुए हैं, इस की भी जांच होनी चाहिए, स्थानीय लोगों के मुताबिक नगर आयुक्त पंकज कुमार उपाध्याय हटर्धमिता और असंवेदनशीलता भी घटना का बड़ा कारण है। हल्द्वानी के थाना बनभूलपुरा क्षेत्र के अन्तर्गत मलिक के बगीचे में स्थित मस्जिद और मदरसे को हटाने के दौरान समीप की बस्ती गांधी नगर की और से किये गये पथराव, आगजनी और गोलीबारी की भी जांच की जाए। अभी तक सामने आई मीडिया रिर्पोटों में खुलासा हुआ है कि, जिला प्रशासन की अनुभवहीनता भी सामने आ रही है, अतिक्रमण हटाने से पहले हवाई सर्वे क्यों नही कराया गया, पुलिस कर्मियों के पास रबर की गोलिया तक नही थी, जिस कारण उनहे गोली चलानी पड़ी और कई लोग हताहत हुए। कार्यवाही के लिये शाम का समय ही क्यों चुना गया, बाजार नजदीक है, भीट जमा हो गई। हालात का आंकलन करने में प्रशासन नाकाम रहा।

अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर पिछले एक साल से चल रही कार्यवाहियां गंभीर सवालों के घेरे में हैं। राज्य में लगातार धार्मिक स्थलों को प्रशासन और अराजक तत्वों द्वारा धवस्त किया जा रहा है। बिना नोटिस के कार्यवाही से लेकर पक्षपातपूर्ण और गैर कानूनी कार्यवाही तक की घटनाएँ सामने आई हैं। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों को निशाना बना कर कार्यवाही हो रही है, इस प्रकार की कार्यवाहियों पर रोक लगनी चाहिए। किसी भी कार्यवाही को करते हुए पुनर्वास, नोटिस, सुनवाई और संवेदनशीलता का ध्यान रखा जाना चाहिए, किसी भी निर्दोश को बेघर नहीं किया जाना चाहिए। आपसे यह सुनिश्चित कराने का आग्रह करते है कि भविष्य में धार्मिक स्थलों के खिलाफ विध्वंस या कार्रवाई की घटनाओं में, स्थानीय प्रशासन प्रभावित समुदाय के साथ जुड़ने और उनका विष्वास हासिल करने के लिए सक्रिय कदम उठाए। स्थानीय निवासियों के साथ संचार और सहयोग को बढ़ावा देने से न केवल संभावित संघर्ष कम होंगे बल्कि विष्वास बहाल होगा। आप से यह भी आग्रह करना है कि घटना से निपटने के नाम पर भीषण पुलिसिया प्रतिहिंसा नहीं होनी चाहिए, इस घटना से निपटने के नाम पर होने वाली हर कार्यवाही कानून और संविधान के दायरे के अंदर होनी चाहिए। आपसे निवेदन है कि राज्य सरकार और प्रशासन को निर्देशित करें कि उनकी कोई भी कार्यवाही संविधान और कानून के दायरे में ही हो। शासन-प्रशासन में स्थानीय लोगों का विष्वास बहाल करने को संवाद का रास्ता अपनाया जाए, तत्काल गणमानीय लोगों की अमन कमेटियां बनाई जाए। आपसे अनुरोध है कि क्षेत्र में शांति की बहाली, बेकसूर लोगों की गिरफ्तारी न हो इसको सुनिश्चित कराने और निष्पक्ष न्यायिक जांच कराई जाए।