पिछले 8 सालों से विधान सभा के पटल पर नहीं रखी गई वार्षिक आडिट रिपोर्ट
देहरादून, 27 अगस्त : आडिट निदेशालय और शासन के बीच चली लम्बी कागजी घुडदौड के बाद भी पिछले आठ सालों की वार्षिक आडिट रिपोर्ट विधान सभा के पटल पर नहीं रखी गई हैं । इस मामले में हल्द्वानी निवासी रमेश चन्द्र पाण्डे द्वारा आरटीआई से मांगी गई पूरी सूचना उन्हें नहीं मिली है लेकिन जो सूचना मिली है, उसके अनुसार वर्ष 2014-15 से 2021-22 तक के वार्षिक आडिट रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखने हेतु आडिट निदेशालय द्वारा अब तक कुल 23 पत्र शासन को भेजे हैं ।
श्री पाण्डे ने आडिट निदेशालय के लोक सूचना अधिकारी को आवेदन भेजकर आडिट एक्ट 2012 के नियम 8(3) के तहत वर्ष 2014-15 से अब तक के वार्षिक आडिट रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखे जाने हेतु किये गये पत्राचार और इस सम्बन्ध में पत्रावली में उल्लिखित टिप्पणियों की सूचना देने का अनुरोध किया था जिसके जवाब में निदेशालय से शासन के आडिट प्रकोष्ठ को भेजे गये 23 पत्र तो दिये, लेकिन पत्रावली में उल्लिखित टिप्पणियों और शासन से प्राप्त अधावधिक पत्र नहीं दिये। श्री पाण्डे द्वारा इस पर प्रथम अपील दाखिल करते हुए पूरी सूचना दिलाने की मांग की गई। प्रथम अपीलीय अधिकारी संयुक्त निदेशक बिपिन बिहारी लाल ने उक्त अपील पर सुनवाई के लिए 28 अगस्त सोमवार की सुबह 10-30 बजे का समय निर्धारित किया है ।
श्री पाण्डे ने कहा कि इन आठ सालो में करोड़ो के गबन घोटाले हुए हैं जो आडिट रिपोर्ट में उल्लिखित हैं । आडिट एक्ट के उल्लंघन से सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावों पर सवाल उठ रहे हैं, जिससे बचने के लिए सरकार को चाहिए कि आडिट एक्ट के उल्लंघन के लिए तत्काल जबावदेही तय करे।
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