याचना नहीं अब रण होगा, संग्राम बड़ा भीषण होगा 

आज दिनांक 28-फरवरी को उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा पूर्व घोषित कार्यक्रम कें अनुसार शहीद स्मारक पर प्रातः 11-बजे एक बैठक का आयोजन किया गया।
आज क़ी बैठक क़ी अध्यक्षता जगमोहन सिंह नेगी ने कि जबकि संचालन पूर्ण सिंह लिंग्वाल द्वारा किया गया। आज क़ी बैठक मे सभी ने वर्तमान त्रिवेंद्र सरकार की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा कि मुख्यमन्त्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट व धन सिंह रावत व मदन कौशिक जैसे हेवीवेट मंत्रियों के झूठे आश्वसनों के बाद राज्य आंदोलनकारियो ने मान लिया कि यह सरकार गूंगी- बहरी होने के साथ ही संवेदनहीन भी है।
बैठक मे वेद प्रकाश शर्मा व जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि अब उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच त्रिवेन्द्र सरकार से कोई गुहार नही लगाएंगे और आगामी अप्रैल माह मे समस्त प्रदेश की सभी विधान सभाओं से प्रमुख राज्य आंदोलनकारीयों को अस्थाई राजधानी के शहीद स्मारक में  बुला कर आगामी रणनीति  तय की जाएगी ।
प्रदीप कुकरेती व पूर्ण सिंह लिंग्वाल ने सुझाव रखा कि आंदोलनकारीयों  को  सरकार के पिछले 04-वर्षो के कार्यकाल क़ा एक  आरोप पत्र जारी करना चाहिए  और उसे लेकर पुरे प्रदेश की जनता  को बताना चाहिये कि इस अहंकारी मुख्यमन्त्री ने राज्य आन्दोलनकारियो के अलावा और  किन किन  सामाजिक संगठनों व आमजन से दूरी बनाई हुई है।

        वीरेंद्र पोखरियाल

राज्य आन्दोलनकारी व डीएवी कॉलेज के पूर्व अध्यक्ष रहे वीरेंद्र पोखरियाल ने भी वर्तमान सरकार द्वारा राज्य आन्दोलनकारियो के साथ किये जा रहे विश्वासघात पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की . उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा की अगर वर्तमान सत्र में  राज्य आन्दोलनकारियो की सभी जायज मांगों को पूरा नहीं किया गया तो अप्रैल माह में वह भी अपने पूरे दल-बल के साथ इसमें कूद पड़ेंगे. मुख्यमंत्री को ये नहीं भूलना चाहिए कि यह राज्य कोई खेरत में नहीं मिला है हमारी माँ ,बहनों व साथियों की शाहदत के बदोलत मिला है. इसलिये उनके सम्मान में किसी भी तरह की कोताही बर्दास्त नहीं की जा सकती. प्रदेश के पहले निर्वाचित मुखिया पं0 नारायण दत्त तिवारी जैसी शक्सियत आन्दोलनकारियों का सम्मान करते थे और उन्ही के द्वारा दिए गए अधिमान के बदौलत आज हजारों की संख्या में आन्दोलनकारी सरकारी सेवाओं में नौकरी कर रहें हैं. उसके बाद के भी सभी मुख्यमंत्रीयों ने भी आन्दोलनकारियों के साथ ऐसा दुर्व्यवाहर नहीं किया जैसा ही पिछले ४ सालों त्रिवेंद्र सरकार में हुआ है.  ( सनद रहे कि 1994 के ऐतिहासिक आन्दोलन के समय वीरेंद्र पोखरियाल डीएवी महाविद्यालय के अध्यक्ष थे और देहरादून के छात्र आन्दोलन को वही लीड किया करते थे)

विक्रम भण्डारी ,मोहन रावत व सुरेश नेगी  ने कहा कि राज्य आंदोलनकारी पिछले चार वर्षो से मुख्यमन्त्री क़ी कार्यशैली देख रहे है जब वह अपनी पार्टी के मंत्रियों ,विधयाकों,कार्यकर्ताओं की ही सुनने को तेयार नहीं तो आमजन क़ी बात क्या सुनेगे।

वयोवृद्ध आंदोलनकारी बंशीलाल बिजल्वाण ने कहा कि यदि सरकार मे जरा सा भी शहीदों व राज्य आन्दोलनकारियो के प्रति संवेदना है तो इसी बजट सत्र मे राज्य आन्दोलनकारियों क़ी मांगो पर ईमानदार पहल कर एक बड़ी लकीर खींचकर दिखाएँ।

आज बैठक मे मुख्यतः युद्धवीर सिंह चौहान , रामलाल खंडूड़ी , प्रदीप कुकरेती , पूर्ण सिंह लिंग्वाल , रामपाल , विक्रम सिंह भण्डारी , डी एस गुंसाई , मोहन रावत , जबर सिंह पावेल , बलबीर सिंह नेगी , रुकम सिंह पोखरियाल , गुलाब सिंह रावत , सतेन्द्र नोगाई , सुमन भण्डारी , राजेश पान्थरी , सुरेश नेगी , विनोद असवाल , प्रभात डन्ड्रियाल , लोक बहादुर थापा , सुशील विरमानी , गम्भीर मेवाड़ , संतोषसेमवाल सेमवाल , राजेश्वरी रावत , चन्द्र किरण राणा , नरेन्द्र नौटियाल , राकेश थपलियाल , संजय तिवाड़ी , विजय बलूनी , वयोवृद्ध आंदोलनकारी बंशीलाल बिज्ल्वाण , पवन शर्मा , मीरा गुंसाई , जसोदा रावत , सरोजनी थपलियाल , वेदानन्द कोठारी , सुरेश कुमार , प्रभात डंडरियाल आदि लोग मौजूद थे.

 

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