उत्तराखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र नथुवाखान, नैनीताल की दुर्गम वादियों के बीच एक कलाकार लोक कला और संगीत के क्षेत्र में अपना मुकाम हासिल कर रहा है । नथुवाखान का रहने वाला मनीष बिष्ट लोकगीतों की विभिन्न विधाओं जैसे न्यौली, छपेली, झोड़ा , चांचरी आदि के माध्यम से लोक कला के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
पहाड़ की पीड़ा पलायन को लेकर उनके गीत ,‘ शुद्ध जल पाणि छोड़ि बेर न जाओ’ के द्वारा दर्द को बयां करने का प्रयास किया गया है।
आँखों लै देखि, कानौ लै सुनि, कौतु भल हुंछि म्यर पहाड़। कां झोड़ा चांचरि हुंछि, क्या हुंछि बरयात ।
कुछ गीत जिन्हें उनके द्वारा अपनी आवाज़ दी है उनमें, ओ हिट परु पहाड़ा लै घुमि उनू। ओ हिट परु जौनसारा बजारा और पहाडै लोगो तुम जागि जाओ रे, ओ लोगो स्वच्छता अभियान में जुड़ी जाओ रे.. प्रमुख हैं ।
यूँ तो मनीष बिष्ट अभी राजकीय इंटर कॉलेज नथुवाखान में कक्षा 11 के अध्ययनरत छात्र हैं किन्तु लोक गीत संगीत के क्षेत्र में भी समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं यही कारण है कि इस बार के जनपद स्तरीय कला उत्सव कार्यक्रम के एकल गायन विधा में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए राज्य स्तरीय कला उत्सव कार्यक्रम में प्रतिभाग करने जा रहे हैं।
कौन निकाल पड़ा अकेले ही एक इतिहास रचने को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें .
सीसीआरटी से जुड़े गौरीशंकर काण्डपाल के द्वारा उन्हें संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा संचालित युवा वर्ग की छात्रवृत्ति योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, वे लोक कला के संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करते हुए संस्कृति मंत्रालय की सांस्कृतिक छात्रवृत्ति का भी लाभ ले सकते हैं।