*BREAKING NEWS : बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान का निधन*

मैं एकदम अलग ही दुनिया में था, मानो मैं एक तेज़ दौड़ती रेलगाड़ी में सवार था, मेरे सपने थे, गोल्स थे, योज़नाएं थी और मैं पूरी तरह से उनके साथ मसरूफ था। लेकिन अचानक ही किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मैंने पीछे मुड़कर देखा तो एक टीसी खड़ा था। टीसी ने मुझसे कहा – आपकी मंजिल आने वाली है। अब आप उतर जाइए। लेकिन मैं उतरना नहीं चाहता था, मुझे पता है मेरी मंजिल नहीं आई है। लेकिन वहां से आवाज़ आती है – ‘नहीं बस इतना ही। यही आपकी मंजिल है।’ तब आपको एहसास होता है कि शायद ज़िंदगी में यूं ही पलक झपकते ही कुछ भी हो सकता है। आप समुद्र में उस छोटे से कॉर्क की तरह फील करते हो, जो नदी के बहाव को बदलना चाहता है, लेकिन वो कुछ नहीं कर पाता।

आप इस चीज़ से गुज़र रहे होते हो और फिर आपको दर्द अपना एहसास कराता है। ऐसा लगता है कि इस पूरे समय के दौरान आप सिर्फ दर्द को जानते थे, लेकिन अब दर्द अपनी तीव्रता दिखा रहा है। जब दर्द होता है, तो कुछ काम नहीं करता। दर्द की तीव्रता ऐसी होती है कि उससे बड़ा कुछ नहीं दिखता। मुझे एहसास नहीं था कि मेरे अस्पताल के बगल में ही लॉर्ड्स का मैदान था। मेरे बचपन के सपनों का मक्का। अपने दर्द के बीच मैंने विवियन रिचर्ड्स की मुस्कुराते हुए तस्वीर देखी थी। मुझे कुछ नहीं हुआ, मानो वो दुनिया मेरे लिए थी ही नहीं।

इस अस्पताल के ऊपरी हिस्से में कोमा का वार्ड भी है। एक बार जब मैं अपने रूम की बालकनी में ख़ड़ा था तो मुझे एहसास हुआ कि ज़िंदगी और मौत के खेल के बीच बस एक रोड ही तो मौजूद था। मेरे एक तरफ, एक अस्पताल था तो दूसरी तरफ एक स्टेडियम था। न तो स्टेडियम और न ही अस्पताल किसी भी तरह की निश्चितता की गारंटी दे सकता था। वो लम्हा बेहद खास था, अस्पताल की उस बालकनी में मुझे एहसास हुआ कि मेरे बस में बस इतना ही है कि मैं पूरी ताकत के साथ इस बीमारी से लड़ूं और अपने गेम को शानदार तरीके से खेलूं। इस एहसास ने मुझे शांत किया, मेरे जितने सवाल और बैचेनी मन में कौंध रही थी वो सभी धीरे धीरे खत्म होने लगी।

बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान का बुधवार को निधन हो गया. बेजोड़ अभिनय के लिए पहचाने जाने वाले एक्टर इरफान खान अब हमारे बीच नहीं रहे. बुधवार सुबह मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में उनका निधन हो गया. उन्हें करीब एक सप्ताह पहले कोलोन इन्फेक्शन के चलते वहां एडमिट कराया गया था और वे आईसीयू में भर्ती थे. बोलती आंखों वाले इरफान की फिल्मी शुरुआत के बारे में यूं तो तमाम कहानियां हैं लेकिन उनकी बायोग्राफी लिखने वाले असीम छाबड़ा कहते हैं कि इरफान अपने दम पर स्टार बने.
इरफान के पिता टायर का व्यापार करते थे। पठान परिवार के होने के बावजूद इरफान बचपन से ही शाकाहारी थे। इस वजह से उनके पिता उन्हें हमेशा यह कहकर चिढ़ाते थे कि पठान परिवार में ब्राह्मण पैदा हो गया। इंडस्ट्री में आने के बाद इरफान ने काफी संघर्ष किया। जब उनका एनएसडी में प्रवेश हुआ, उन्हीं दिनों उनके पिता की मृत्यु हो गई। जिसके बाद इरफान को घर से पैसे मिलने बंद हो गए। एनएसडी से मिलने वाली फेलोशिप के जरिए उन्होंने अपना कोर्स खत्म किया।
इरफान खान ने अपनी क्लासमेट सुतापा सिकंदर से 1995 में शादी की थी। इरफान के संघर्ष के दिनों में सुतापा हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं। पहले तो इरफान और सुतापा की शादी के लिए दोनों के घरवाले तैयार नहीं थे लेकिन बाद में मान गए। इरफान के दो बेटे बाबिल और अयान हैं।
इरफान खान ने अपने करियर में कई यादगार फिल्मों में काम किया। बॉलीवुड के साथ-साथ इरफान हॉलीवुड में भी सक्रिय थे। उन्होंने ‘स्पाइडर मैन’, ‘जुरासिक वर्ल्ड’ और ‘इन्फर्नो’ जैसी फिल्मों में काम किया। हॉलीवुड अभिनेता टॉम हैंक्स ने उनकी सराहना करते हुए एक बार कहा था कि इरफान की आंखें भी अभिनय करती हैं।
फिल्म ‘हासिल’ के लिए इरफान खान को उस साल का ‘बेस्ट विलेन’ का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। उसके बाद इरफान ने ‘मकबूल’, ‘लंचबॉक्स’, ‘लाइफ इन ए मेट्रो’, ‘न्यूयॉर्क’, ‘द नेमसेक’, ‘पान सिंह तोमर’, ‘तलवार’, ‘मदारी’, ‘हैदर’, ‘पीकू’ और ‘हिंदी मीडियम’ जैसी बेहतरीन फिल्मों में काम किया।
इरफान खान को फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ के लिए साल 2013 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। साल 2011 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। इरफान हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ में नजर आए थे।
अमिताभ बच्चन ने शोक व्यक्त करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘अभी-अभी इरफान खान के निधन की खबर मिली… ये सबसे परेशान करने वाली और दुखद खबर है… एक अविश्वसनीय प्रतिभा… एक महान सहयोगी… सिनेमा की दुनिया के जबरदस्त योगदानकर्ता… एक बहुत बड़ी जगह खाली बनाकर.. हमें बहुत जल्दी छोड़ गए… प्रार्थनाएं और दुआएं।’
फिल्ममेकर शूजित सरकार ने इरफान को श्रद्धांजलि देते हुए ट्विटर पर लिखा है, ‘मेरे प्रिय मित्र इरफान। आप लड़े और लड़े और लड़ते रहे। मुझे आप पर हमेशा गर्व रहेगा.. हम फिर से मिलेंगे.. सुतापा और बाबिल के प्रति संवेदना.. आपने भी लड़ाई लड़ी, सुतापा आपने इस लड़ाई में हर संभव मदद की। शांति और ओम शांति। इरफान खान को सलाम।’अभिनेता इरफान खान को मंगलवार को पेट के संक्रमण के बाद शहर के एक अस्पताल की आईसीयू में भर्ती कराया गया था. उनके प्रवक्ता ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया था कि 53 वर्षीय अभिनेता को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. खान की 2018 में कैंसर की बीमारी का इलाज हुआ था. खान की 95 वर्षीय मां सईदा बेगम की तीन दिन पहले जयपुर में मृत्यु हो गई थी. अभिनेता कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के कारण अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाये थे. कैंसर की बीमारी से निजात पाने के बाद 2019 में वापसी करते हुए अभिनेता ने ‘‘अंग्रेजी मीडियम’’ फिल्म की शूटिंग की थी.

ज़िंदगी में पहली बार मैंने जाना कि आज़ादी के असल मायने क्या होते हैं। ये मुझे एक अचीवमेंट की तरह लग रहा था। ऐसा लग रहा था मानो मैं पहली बार ज़िंदगी के जादुई हिस्से को देख पा रहा हूं। मैं कॉस्मोस में विश्वास करता हूं ये समय ही बताएगा कि ये फीलिंग कब तक मेरे साथ रह पाती है लेकिन फिलहाल तो मैं कुछ ऐसा ही फील कर रहा हूं। इस पूरी यात्रा के दौरान कई लोग हैं जो मेरे लिए प्रार्थना कर रहे हैं। वो लोग, जिन्हें मैं जानता हूं, वो भी जिन्हें मैं नहीं जानता हूं। कई जगहों से, कई टाइम जोन्स से लोग मेरे लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं और मुझे लगता है कि ये सभी प्रार्थनाएं एक हो चुकी हैं। ये प्रार्थनाएं मुझे खुशी, उत्सुकता से भर दे रही हैं। एक ऐसा एहसास जिसमें मैं अब ये जानता हूं कि उस छोटे से कॉर्क को नदी का बहाव रोकने की कोई जरूरत नहीं है।

उपरोक्त पत्र इरफान खान ने 2018 में लिखा था जब उन्हें अपने “हाई ग्रेड न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर” से पीड़ित होने का पता चला था । अभी खबर आई है कि इरफान खान , बकौल स्वंय उनके, “रेलगाड़ी से उतर गए हैं” यानी उनका निधन हो गया है । विश्वास नहीं हो रहा । अभी कुछ दिन पहले यानी मार्च महीने में ही उन्होंने कहा था कि “मेरे लिए पिछले 2 वर्ष का दौर रोलर-कोस्टर राइड जैसा रहा है । जिसमें हम पति-पत्नी थोड़ा रोए और ज्यादा हंसे।” उन्होंने कहा कि “इस दौरान मैं बहुत ही भयंकर बेचैनी से गुजरा, लेकिन कहीं न कहीं मैंने उसे कंट्रोल किया. ऐसा लग रहा था मानो कि आप लगातार अपने साथ हॉपस्‍कॉच खेल रहे हों.”

आज इरफान के रूप में फ़िल्म इंडस्ट्री ने एक बेहतरीन इंसान और एक बेहद टैलेंटेड एक्टर को खो दिया है। इरफान के पिताजी ,उनके बारे में अक्सर कहा करते थे कि “पठान के घर बाभन(ब्राह्मण) पैदा हो गया है।” उनके निधन की खबर ने फिल्म इंडस्ट्री से लेकर उनके फैंस तक सभी को हिलाकर रख दिया है। उनकी पुनीत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि। शत शत नमन ।

सादर

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