-रेलवे प्रभावितों ने जताया आक्रोश
-जिंदगी भर की पूंजी मकान पर लगाई, आज बेघर होने के कगार पर

रुद्रप्रयाग,  ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना से प्रभावित लोगों को प्रशासन ने मुआवजा वापस देने के नोटिस जारी किए हैं। इसको लेकर प्रभावितों में आक्रोश बना हुआ है। उन्होंने इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का मन बनाया है।
दरअसल, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के लिए अर्जित की गई भूमि में स्थित परिसम्पत्ति भवन या दुकान का प्रभावितों को पूर्व में मुआवजा दिया जा चुका है। अब प्रशासन इनसे मुआवजा वापस मांग रहा है। प्रशासन का कहना है कि प्रभावितों ने सरकारी जमीन पर भवन और दुकान बनाई है। पूर्व में त्रुटिवश मुआवजा प्रभावितों के खाते में जमा किया गया। अब मुआवजा के साथ ही दस प्रतिशत ब्याज भी लिया जा रहा है।
घोलतीर निवासी मधुसूदन जोशी का कहना है कि उनके पिताजी ने 1965 में मकान बनाया था। तब से उनका कब्जा है। रेलवे में उनकी जमीन अधिग्रहीत की गई है। पूर्व में उन्हें मुआवजा दिया गया, अब मुआवजा वापस मांगा जा रहा है। ऐसे में हम लोग बेघर हो जायेंगे। घोलतीर के ही मनोरी लाल का कहना है कि जिस जमीन का अधिग्रहण किया गया है, वहां पर उनका घराट था। उन्होंने कहा कि उन्हें जो पैसा मिला था, उसमें अधिकांश पैसा उनकी बेटी के विवाह में खर्च हो गया है।
नरकोटा निवासी दीपक सिलोड़ी को भी प्रशासन ने नोटिस थमाया है। उनका कहना है कि उन्होंने जिंदगी भर जो भी कमाया, सब अपने मकान पर खर्च कर दिया। आज उनके सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है। वसूली प्रमाण पत्र में लिखा है कि प्रतिकर की धनराशि का त्रुटिवश भुगतान हो गया था। प्रतिकर की अधिक भुगतान की गई धनराशि वसूली शुल्क सहित भू राजस्व बकाया की भांति वसूली करके जिलाधिकारी के नाम से बैंक खाते में जमा करने के आदेश दिए गए हैं।
प्रभावितों का कहना है कि सरकारी जमीन पर उनका पचास वर्षाें से अधिक समय का कब्जा है। नियमानुसार उनकी जमीन का नियमितीकरण होना था। जो आज तक नहीं हो पाया। इस संबंध में सरकार ने एक शासनादेश भी जारी किया है, जिसमें सरकारी भूमि पर जून 1983 से पूर्व के कब्जेधारियों को विनियमित करने का उल्लेख किया गया है। वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि सरकारी भूमि पर मुआवजे का प्रावधान नहीं है। पूर्व में त्रुटिवश प्रभावितों के खाते में मुआवजा डाला गया। जिसे वापस लिया जा रहा है।