इटली में 15 फरवरी 1564 में जन्मे महान खगोलशात्री, गणितज्ञ और दार्शनिक गैलिलियो गैलिली को तात्कालीन शक्तिशाली कैथोलिक चर्च ने महज इसलिए ताउम्र कैद होने का आदेश दिया था, क्योंकि गैलिलियो ने खुद की बनाई हुई शक्तिशाली दूरबीनों से इस बात की खोज कर ली थी कि चांद, सूरज या अन्य ग्रह कोई भागवान नहीं। महज एक ग्रह-पिंड है। धार्मिक मान्यताओं पर चोट करने से तात्कालीन चर्च की सत्ता हिलने लगी।

लोग अब चर्च के बदले गैलिलियोसे  भगवान के बारे में सवाल पूछने लगे। गैलिलियो से उन्हें ठोस जवाब मिलता। जवाब सही मिलता तो अंधविश्वास भी कम होने लगा। चर्च को ये बात इतनी नागवार गुजरी की उन्होंने गैलिलियो को मरने तक कैद करवा लिया। हालांकि गैलिलियो के पास विकल्प था कि वो रोमन कैथोलिक चर्च से माफी मांगे और जीवन भर कोई अविष्कार न करने की शर्त पर मुक्त हो जायें। गैलिलियो ने ऐसा नहीं किया और तमाम यातनाओं को झेलने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।तो क्या गैलिलियो के मरने से विज्ञान या अंधविश्वासी मान्यताओं का उन्मूलन खत्म हो गया? क्या प्रागैतिहासिक कॉल से आधुनिक काल तक का सफर रुक गया ? नहीं गैलिलियो के मरने के कुछ दिन बाद स्पेन में ही न्यूटन का जन्म हुआ। उसके बाद जो हुआ उससे दुनिया मुखातिब है।

बहरहाल, वैज्ञानिक हो या वैज्ञानिक दृष्टीकोण रखने वाली शख्सीयत, उन्हें धारा के विपरीत चलना ही पड़ा। अपने ही समाज और सत्ता से लड़ना पड़ा। भारत में सावित्री बाई फुले को ही लें। 1827 में जन्मी देश की पहली शिक्षित महिला होने के बाद वो घर पर नहीं बैठी। उन्होंने लड़कियों को शिक्षित करने की ठानी और एक स्कूल खोला। लेकिन उनके लिए ये काम इतना आसान नहीं था। जब वो स्कूल के लिए घर से निकलती तो लोग उन पर गोबर फेेंकते। ताने मारते कि पुरूषवाद मानसिकता के उलट लड़कियों को पढ़ाना चाह रही है। सावित्री बाई फुले असल में, हजारों साल से सामाजिक जमीन पर गहरे गड़ चुके मनुवाद से लड़ने चली थी। अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है।
बहरहाल, बाद में सावित्री बाई फुले के स्कूल से पासआउट लड़कियां देश की पहली डाक्टर और इंजीनियर भी बनी। जो गैलिलियो ने झेला, वो ही तो भारत में सावित्री बाई फुले ने झेला। वैसा ही हर देश में किसी न किसी ने झेला। हजारों कहानियां है। इन्हीं कहानियों को सुनते हुए हम प्रागैतिहासिक काल से आधुनिक काल तक पहंचे है।

रूढ़ीवादी हर युग में पैदा हुये, लेकिन कहानियां फिर भी बनती रही, हम आगे बढ़ते रहे। ..

साभार – मनमीत

 

Born in Italy on February 15, 1564, the great astronomer, mathematician and philosopher Galileo Galilei was ordered to be imprisoned by the then powerful Catholic Church simply because Galileo had discovered from his own powerful telescopes that the moon. , The sun or other planets are no part It is just a planetary body. The power of the erstwhile church began to be shaken by hurting religious beliefs.People now started asking Galileo questions about God in exchange for the church. Galileo would have given him a concrete answer. If the answer was correct, superstition also started to reduce. The church was so exasperated that they got Galileo imprisoned until he died. However, Galileo had the option to apologize to the Roman Catholic Church and be freed on the condition of not inventing anything throughout his life. Galileo did not do so and after suffering all the torture, he died.So did Galileo die eradicate science or superstitious beliefs? Did the journey from prehistoric call to modern times stop? No, Newton was born in Spain a few days after Galileo died. The world is faced with what happened after that.However, whether a scientist or a person with a scientific perspective, he had to walk opposite the stream. Had to fight with our own society and power. Take Savitri Bai Phule in India only. After being the first educated woman of the country born in 1827, she did not sit at home. He decided to educate girls and opened a school. But this task was not so easy for him. When she left home for school, people would throw dung at her. Taunting that, contrary to the masculine mentality, girls are trying to teach.Savitri Bai Phule had, in fact, gone on to fight Manuwad, who was deeply engrossed on social land for thousands of years. Together with her husband Jyotirao Govindrao Phule, she did remarkable work in the field of women’s rights and education. She was the first female teacher. He is considered the forerunner of modern Marathi poetry.
However, later passout girls from Savitri Bai Phule’s school also became the country’s first doctors and engineers. What Galileo faced, Savitri Bai Phule faced it in India. Every country has faced something like this.

There are thousands of stories. Listening to these stories, we reached from prehistoric times to modern times.

The orthodox were born in every era, but the stories kept coming up, we kept going. ..

Sincerely – Manmeet

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