Remove featured image Toggle panel: Tags मुर्दे आवाज नहीं उठाते

#lockdown

गोदी मीडिया व आईटीसेल 10 दिन से खाली बैठे थे, बेचारों को थाली पीटते चौराहों में एकत्र भीड़ में कोई टारगेट नहीं मिला? लॉकडाउन में ही भीड़ के साथ यूपी सीएम योगी रामलल्ला को गोद में लिए घुमाते रहे तब भी टारगेट नहीं मिला? शिवराज सिंह भीड़ के साथ सीएम की शपथ ले लिए मगर तब भी उन्हें टारगेट नहीं मिला ? #कोरोना महामारी ने उनके रोजगार को भी जीते जी चपेट में ले लिया था, बेचारे हैरान, परेशान करें तो क्या करें? मगर इतने में बाजी पलटी दिल्ली के #निजामुदीन मरकज़ में मुल्ले एक जगह मिल गए जो पीएम के लॉकडाउन का पालन करने के लिए बाहर नहीं निकले बस फिर क्या था गोदी मीडिया, आईटीसेल को पुनः रोजगार मिल गया वो भी महामारी में, दोनों ने एंगल सेट किया और टारगेट पर सवालों की बमबारी शुरू कर दी, मानों उनकी पौ बारह हो गई हो, उनके कदम वहाँ ऐसे रुके मानो समुद्र मंथन का अमृत मिल गया हो.

खैर हमें हैरानी नहीं हुई, हम सोचते हैं बेचारे गोदी मीडिया व आईटीसेल के पास एक मात्र मुस्लिम ही तो है जिसके बूते उनकी झूठ व लूट की फर्जी दुकान चलती है, उनका रोजगार चलता है, जिसको वे जब चाहें दही समझ छाँछ की तरह छोल लें, मक्खन निकलता ही रहता है, निकलता ही रहता है, वर्ना कौन उन दलालों को पूछ रहा?

हाँ मगर महामारी के इस दौर में उनके इस कृत्य को देख कर अफ़सोस हो रहा है, जहाँ किसी को नहीं पता संकट कितना बड़ा है, कब संकट जायेगा, कौन संकट से सुरक्षित बचेगा कौन नहीं, ऐसे अवसर पर संकट में फँसे पीड़ितों को न्याय दिलवाने की बजाये वे इस समय भी मुनाफ़ा देख रहे हैं, इसलिए हम उन्हें सीधा कहना चाहते हैं, सुनलो बे दलालों कीड़े पड़ेंगे कीड़े, तुम्हारी संकीर्ण सोच पर. तुम्हारी ही नीचता है जो आज सारा देश रो रहा है, तुम्हारी गलत बात को गलत कहने की औकात होती तो समय पर कोरोना के संकट को हेडलाईन देते, बाहर से आने वाले यात्रियों की मेडिकल जाँच व आइसोलेशन में रखने की माँग उठाते, वो सब भी नहीं किया तो आज सबसे पहले ब्लफ मास्टर को नंगा करते, पूछते आखिर बिना तैयारी के लॉकडाउन क्यों किया? लोगों को अपने गंतव्यों तक पहुँचने का अवसर क्यों नहीं दिया? गरीब, ध्याड़ी श्रमिकों को राशन, शब्जी, तेल ईंधन कब, कहाँ से, कैसे मिलेगा क्यों नहीं बताया? महामारी में सेवा दे रहे मेडिकल, सफाई, सुरक्षा कर्मियों आदि को जरुरी सुरक्षा उपकरण क्यों नहीं दिए गए? कारखाने/मिलें जब बंद हैं, उत्पादन ठप है तो मार्केट में आपूर्ति कैसे होगी, क्यों नहीं बताया? नाकाबिल नक्कारा हुक्मरानों से छाती पीट पीट कर हेड लाइनों में स्तीफा माँगते मगर तुम मुर्दे हो मुर्दे और मुर्दे आवाज नहीं उठाते, बदबु फैलाते हैं!

✍️ भार्गव चन्दोला, देहरादून

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