सीताराम येचुरी का मोदी को खुला पत्र

श्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री भारत सरकार
साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली

प्रिय प्रधान मंत्री जी

? उम्मीद है कोविद 19 के प्रकोप के इस दुस्समय में आप स्वस्थ होंगे।
? इस वर्ष को हमने गाँधी जी की 150 वीं सालगिरह की वर्ष के रूप में माना है और इस समय राष्ट्रपिता हमारे ध्यान में आ रहे हैं।
? उन्होंने हमे हमेशा काम आने वाला एक मन्त्र दिया था कि “जो सबसे गरीब और कमज़ोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शकल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा । क्या उससे उसे कुछ लाभ पहुंचेगा ?” कोविद – 19 को लेकर आज आपके भाषण और इसके मुकाबले के लिए सरकार के कदमों, की जाने वाली कार्यवाहियों में इस मन्त्र की कोई झलक नहीं दिखाई दी।
? हमने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा करने वाले आपके भाषण को देखा।
? हमें बहुत निराशा हुयी कि अभी तक गरीब और जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने तथा इस आपदा में बचने के लिए जिन्हे फ़ौरन मदद की जरूरत है, उनके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया।
? इस लॉकडाउन से सबसे ज्यादा परेशान होने वाले गरीब प्रवासी मजदूरों की सहायता करने का कोई कदम नहीं उठाया गया। उनमे से ज्यादातर बिना किसी आसरे, बिना खाने पीने के किसी सहारे के अधबीच मेंअटके हुए हैं। वे सुरक्षित जगहों तक कैसे पहुंचेंगे ? बिना पैसे और खाने के वैसे कैसे ज़िंदा रहेंगे ? पुलिस द्वारा उन्हें परेशान औउनकी जिंदगी ,उनकी आमदनी की कोई सुरक्षा नहीं है, किसी आश्वासन के बिना उन्हें अफरातफरी और अराजकता में छोड़ दिया गया है। महामारी से लड़ाई के इस पल में जिस सोशल डिस्टैन्सिंग की जरूरत है यह ठीक उसका उलट है ।

? हमने बड़े ताज्जुब के साथ स्वास्थ्य की देखरेख के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के आपके पैकेज की घोषणा सुनी है. हम अक्सर आपके भाषणों में 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था,- 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी – और आर्थिक क्षेत्रों में तीव्र प्रगति की बातें सुनते रहते हैं। अगर हम उन्हेंसच्चा और तथ्यपूर्ण माने तो क्या हमारे पास खर्च करने के लिए सिर्फ 15 हजार करोड़ रुपये हैं ?र प्रताड़ित करने की भी खबरें आ रही हैं। वे अपनी सलामती के लिए इधर उधर भटक रहे हैं – ना तो उनके लिए किसी भी तरह के परिवहन की कोई व्यवस्था की गयी है ना ही बुनियादी जरूरतों की पूर्ती के लिए उनकी कोई आर्थिक मदद ही की गयी है।
? कमसेकम 45 करोड़ हिन्दुस्तानी ऐसे हैं जो रोज कमाते हैं रोज खाते हैं। इक्कीस दिन के लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में काम बंद हो जायेगा – उनकी जिंदगी कैसे बचेगी इसके बारे में किसी कदम की घोषणा नहीं की गयी है।  हर देशवासी के लिए सिर्फ 112 रुपये ? रईस कारपोरेटों के लिए 7.78 लाख करोड़ रुपयों के बेलआउट पैकेज और उन्ही को 1.76 लाख करोड़ रुपयों की टैक्स छूट देने की घोषणाओं का मतलब है कि गंभीर खतरे में फंसे लोगों की सेहत के लिए खर्च करने के लिए हम इससे ज्यादा खर्च कर सकते हैं। आप गरीबों की जिंदगी बचाने के लिए अति-धनाढ्यों – सुपर रिच – पर टैक्स क्यों नहीं लगा रहे ?
? इस साल के वार्षिक बजट के समय तक यह वैश्विक बीमारी साफ़ दिखाई देने लगी थी। उस बजट में जब आपने स्वास्थ्य पर होने वाला खर्चा घटाया तभी चिंता होने लगी थी। बड़े अस्पतालों का आवंटन कम कर दिया गया था और एम्स के लिए मात्र 0.1% की वृध्दि दी गयी थी। सबसे बड़ी गिरावट राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में थी जिसे 156 करोड़ रुपये से घटाकर 29 करोड़ रुपये कर दिया गया था। आयुष्मान भारत का आवंटन भी बजाय बढ़ाने के यथावत 6400 करोड़ रूपये ही रखा गया, जबकि इसे बढ़ाया जाना चाहिए था। खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता प्राधिकरण का खर्चा भी 360 करोड़ रूपये से कम करके 283.71 करोड़ रुपये कर दिया गया। संक्रामक बीमारियों के मुकाबले के लिए रखे गए बजट को भी आश्चर्यजनक रूप से अपरिवर्तनीय – 2178 करोड़ रुपये – ही रखा।
? स्वास्थ्य खर्चों में आपकी सरकार की इन आपराधिक कटौतियों ने भारत को और असुरक्षित बना दिया। भारत के पास कोविद – 19 से बचने और उससे मुकाबले की तैयारी के लिए ढाई महीने का समय था मगर अधिक संख्या में सस्ती टैस्टिंग किट्स खरीदने, बचाव के तरीको की पहचान और नियम बनाने , मास्क खरीदने और वेंटिलेटर्स की व्यवस्था करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया। आश्चर्य की बात तो यह है कि 24 मार्च तक आपकी सरकार ने इन अत्यंत जरूरी उपकरणों के एक्सपोर्ट पर प्रतिबन्ध तक नहीं लगाया था।
? आपने अपने भाषण में प्रदेश सरकारों से कहा है कि वे अपना पूरा ध्यान स्वास्थ्य पर दें। लगता है शायद आप भूल गए कि इतने संवेदनशील समय में भाजपा मध्यप्रदेश की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार को गिराने में भिड़ी हुयी थी और संसद में आप अपनी मर्जी से जो करना चाह रहे थे वह किया जा रहा था।
? केरल की वाम-जनवादी मोर्चे की सरकार और कुछ अन्य विपक्ष शासित सरकारों ने बीमारी की जांच करने, पता लगाने तथा स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर लेते हुए बुरी तरह प्रभावित तबकों के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक पैकेज भी लागू किये। इन सब कदमों से सीखने, उनकी ऊर्जा, प्रशासनिक कुशाग्रता तथा भावना से सीखना तो दूर रहा अभी तक इन सबके बारे में आपने एक शब्द भी नहीं कहा।
? आपको इस मुश्किल समय में हर हिन्दुस्तानी को उसका देय देना चाहिए। इसका मतलब यह है कि आपको लॉकडाउन की परेशानियों के लिए आर्थिक सहायता तथा जांच, पता लगाने और स्वास्थ्य के लिए तत्काल उठाये जाने वाले कदमो की साफ़ साफ़ घोषणा करनी चाहिए। यदि हम इस ज्यादा देर होने से पहले इस महामारी की आपदा को हराना चाहते हैं तो ये दोनों काम महत्वपूर्ण है।
? कोविद – 19 से लड़ने के लिए हम सब साथ खड़े है।
? मगर आपकी सरकार नागरिकों से तो सब कुछ कह रही किन्तु दुर्भाग्य से आपने अपनी सरकार को ओर से उनकी जिंदगी की हिफाजत के लिए कोई वायदा नहीं किया है।
? मेरा अनुरोध है कि जनता के जीवन और स्वास्थ्य के हित में प्लीज कुछ कीजिये।

सीताराम येचुरी
महासचिव, #सीपीआई_एम

(भेजे गए पत्र का अंगरेजी से सरल भावानुवाद)

https://jansamvadonline.com/in-context/after-clap-plate-conch-now-is-the-turn-to-play-cheek/