उत्तराखंड की मनोरंजक लोक-कथाएँ

_नमस्कार साब! आजकल, मैं कोरोना के डर के कारण घर पर कैद हूं, मैं आपको अपने मनोरंजन और ज्ञान वर्धन के लिए उत्तराखंड की 51 लोक- कथाएँ  के लिंक भेज रही  हूं। उन्हें सुनें, अपने बचपन की यादों को ताज़ा करें और लोगों को भी बताएं। मुझे विश्वास है कि आप सभी कहानियों को जरूर पसंद करेंगे। ये सभी कहानियाँ गढ़वाली में हैं।

उत्तराखंड की 51 मनोरंजक लोक-कथाएँ

(51)  भड़ माधोसिंह भंडारी

(50) – जीतू बगड्वाल और भरणा
(49) :राजुला मालुशाही
(48) —हरूहीत और मालू रौतेली
(47) नरू—बिजुला की अद्भुत प्रेम कहानी

(46) :सरू — सजवाण की अमर प्रेम कहानी 

(45) रामी बौराणी 

(44) लामा गुरू और युवती की शर्तें 

(43) सात चोर और घुघुतु
(42) —सुलार कु जिक्र नीछ

(41)सानड़ की ऐंठ

(40) गौशाला का भूत
(39) :तिब्बती और नेपाली रानी

(38)घुघुतिया

(37) —सिदुवा और बिदुवा—2 

(36) —सिदुवा और बिदुवा—1 

(35)बुढ़िया और सात भूत 

34) डांडा—कांठा अर बर्फ

(33) —जब जवांई गये ससुराल

(32 )गंगू रमोला 

(31) टोकिण्या और तीन भाई

(30) रौंकळि पहलवान और भूत की लड़ाई 

(29) बूढ—बुढ्या अर तीन जवैं

(28) : छौनी, खाडू अर सौत्यलि ब्वे

(27) — भूतनी से शादी

(26) – घिंडुड़ी अर कागा

(25) — पंडित जी के तुक्के

(24)- ब्वारी कौथिगेर 

(23) – कहानी नंदादेवी के जन्म और राजजात की
(22) — सल्लि ज्योर और पल्लू

(21) — जब मां नंदा को आया गुस्सा

(20) – लीसा कि ब्योलि

(19) — सल्लि ज्योर अर जून 
(18) — भुलक्कड़ लाटा
(17) — नौ बहनें जो बनी आंछरी

(16)- लाटा गौं का सल्लि ज्योर

(15) ढाकरि और भूत

(14) –लाटा बन गया लाटसाहब
(13) — विशालकाय पक्षी और युवक की चतुराई

(12) बूढ़े की सोच और लड़की की समझदारी

(10)— सठ अर लाटा

(9) — बूढ़ बुढ्या अर ह्यूंद

(8) : चल मेरी चिपड़ी तू अर मी

(7) : भीम और राक्षस
(6) : चल तुमड़ि बाटु बाट 

(5)— काफळ पाको मिन नि चाखो
(4) — वन कन्या फ्योली और राजकुमार 

(3) सरगा दीदा पाणि पाणि 

(2) — लिन्ड्र्या छोरा और राक्षसी 
(1) – बुढ़ा—बुढ़िया और पांच पकोड़े

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