-मेडिकल व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल
देहरादून, दुष्कर्म पीड़ित मासूम बच्ची एक घंटे तक दर्द से तड़पती रही। मां-बाप इलाज के लिए गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि पहले एफआईआर दर्ज कराओ, उसके बाद ही इलाज होगा। मौके पर पहुंची एसपी सिटी श्वेता चैबे ने चिकित्सकों पर नाराजगी जताई तब मासूम का इलाज शुरू किया गया। हालत गंभीर देखकर पीड़िता को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।
बीती देर रात्रि करीब 12.30 बजे दून अस्पताल में टिहरी से एक मासूम बच्ची भर्ती कराई गई। बच्ची की हालत खराब थी। दरिंदगी की वजह से चार वर्ष की मासूम बदहवास थी। बच्ची के माता-पिता डॉक्टरों से इलाज की गुहार लगा रहे थे, लेकिन डॉक्टर मानने को तैयार नहीं हुए। उन्होंने साफ कह दिया कि यह दुष्कर्म का मामला है। पहले एफआईआर कराओ, इसके बाद ही इलाज करेंगे। थके-हारे अभिभावकों ने पुलिस तक शिकायत पहुंचाई। सूचना मिलने पर एसपी सिटी श्वेता चौबे मौके पर पहुंची। उन्होंने इलाज में देरी पर सख्त नाराजगी जताई। कुछ डॉक्टर फिर भी अपनी जिद पर अड़े रहे। इस पर उन्होंने एसएसपी से बात कराने को कहा तो डॉक्टर इलाज और मेडिकल के लिए तैयार हुए।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके गुप्ता का कहना है कि कोई भी डॉक्टर ऐसे हालात में इलाज से इंकार नहीं कर सकता है। डॉक्टर किसी भी मामले में शुरुआती इलाज जारी रख सकते हैं। दुष्कर्म के मामलों में जहां तक मेडिकल की बात है तो पुलिस को सूचना दी जाती है। अक्सर पुलिस पीड़ित को लेकर पहुंचती है। लेकिन, सूचना देने के बाद भी मेडिकल किया जा सकता है।