देहरादून, सूबे में सैनिकों और उनके परिवारों को लुभाने की कोशिश में दोनों राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस लगे हुए हैं। प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों में सैनिकों के वोट काफी अहम हैं। कई सीटों में सैनिकों के वोटों से हार-जीत तय होती है। इसलिए बीजेपी और कांग्रेस इन दिनों सैनिकों के वोटों को साधने में जुटी हुई है। इन पांच सीटों में अल्मोड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, गढ़वाल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, टिहरी गढ़वाल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र और हरिद्वार लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं।
उत्तराखंड एक सैनिक बाहुल प्रदेश है। ऐसे में लोकसभा चुनावों की बात की जाए तो प्रदेश के सैनिकों और उनके परिवारों के वोट प्रत्याशियों की जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं। उत्तराखंड से करीब हर परिवार से एक व्यक्ति सेना में है। यही कारण है कि चुनावों में यहां सैन्य कल्याण एक बड़ा मुद्दा रहता है। इस मुद्दे को बीजेपी और कांग्रेस समेत सभी दल कैश करना चाहते हैं। पौड़ी और अल्मोड़ा सीटों पर कई बार सर्विस वोटर ही प्रत्याशियों की जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका में रह चुके हैं। प्रदेश में सैनिक वोटर पौड़ी, टिहरी और अल्मोड़ा सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं।
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उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर सैनिक और पूर्व सैनिकों की करीब संख्या 2.56 लाख है। यह कुल वोटरों का 3.35 प्रतिशत है, लेकिन इनमें अगर इनके परिवार को शामिल कर दिया जाए तो यह मत प्रतिशत बढ़कर करीब 12 प्रतिशत पहुंच जाता है। भाजपा व कांग्रेस सैनिकों के वोट लेने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं।
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