देहरादून, भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के सम्मेलन में मौजूद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और वन मंत्री हरक सिंह रावत के बीच भाषण ही भाषण में मीठी नोकझोंक हुई। मंत्री और सीएम के बीच चली इस नोक-झोंक पर मंच और सभागार में मौजूद आईएफएस अफसरों ने खूब ठहाके लगाए।

     वन मंत्री आईएफएस अफसरों की उस मांग के समर्थन में बोल रहे थे, जिसमें आईएफएस अफसरों ने उन्हें वन विभाग से बाहर अन्य विभागों और शासन में प्रतिनिधित्व देने की मांग उठाई। वन मंत्री ने कहा कि वे बहुत पहले से ही इस बात का समर्थन करते रहे हैं कि अधिकारियों की क्षमता का भरपूर प्रयोग किया जाना चाहिए। अधिकारियों की क्षमता को एक विभाग में बांधकर क्यों रखे। मंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने जिसके-जिसके सामने यह बात रखी उसकी सरकार चली गई। इस बीच मंच पर मौजूद सीएम ने कुछ कहा तो, हरक सिंह ने कहा कि इसलिए उनकी सरकार गई, क्योंकि उन्होंने बात नहीं मानी। हरक सिंह ने आईएफएस को संबोधित करते हुए कहा कि मैं तो आपका वकील हूं। इस पर मुख्यमंत्री ने फिर मंच से ही कहा कि कहीं फीस तो नहीं ली आपने। इस पर हरक ने फिर कमेंट किया कि कुछ मामले जनहित में भी होते हैं। वैसे भी आजकल कोर्ट केस की बजाय जनहित याचिकाओं को प्राथमिकता से ले रही है। इस पर सभी अधिकारी ठहाके लगाकर हंसने लगे।

    सीएम और हरक सिंह के बीच हुए इस मीठे नोकझोंक पर सियासी हलकों में बहस शुरू हो गई है। लोग अपने-अपने हिसाब से इसके सियासी मायने निकाल रहे है। बता दें कि मंत्री हरक सिंह विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।