छत्तीसगढ़ में हाल ही में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में माकपा समर्थित एक जनपद सदस्य, 6 सरपंचों और 50 पंचों के विजयी होने के समाचार मिले हैं। ये प्रतिनिधि सूरजपुर, सरगुजा, चांपा-जांजगीर, बिलासपुर, रायगढ़, बलरामपुर और धमतरी जिलों से चुने गए हैं। सूरजपुर जिले के कल्याणपुर जनपद क्षेत्र में किमलेश जनपद सदस्य के रूप में विजयी हुए हैं। उन्हें 1283 वोट मिले हैं और उन्होंने अपने निकटतम कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को 284 वोटों से हराया है। इसी प्रकार इसी जिले के कल्याणपुर ग्राम पंचायत से परमेश्वरी (महिला) 839 वोट पाकर और निकटतम कांग्रेस प्रत्याशी को 339 वोटों से पराजित कर सरपंच पद के लिए विजयी हुई है। इस पंचायत से माकपा समर्थित 5 पंच भी विजयी हुए हैं। रामेश्वर ग्राम पंचायत की लेवन्ती (म) 38 वोटों के बहुमत से सरपंच चुनी गई हैं। उन्हें 178 वोट मिले हैं। इस पंचायत से पार्टी के 2 पंच भी चुने गए हैं। पोड़ीपा पंचायत से सविता (म) ने 393 वोट पाकर और भाजपा की प्रत्याशी को 176 वोटों से हराकर सरपंच निर्वाचित हुई। यहां से 6 पंच भी निर्वाचित हुए हैं। ग्राम पंचायत पलमा से अपने 9 पंचों के साथ सत्यप्रकाश सरपंच के लिए चुने गए। उन्होंने 593 वोट पाकर निकटतम प्रत्याशी को 278 वोटों से हराया। इसी जिले के छतरपुर ग्राम पंचायत से 5 पंच, बृजनगर पंचायत से 3 तथा केशपुर, हरीपुर और पाठकपुर पंचायत से एक-एक पंच निर्वाचित हुए हैं। इसी प्रकार, रायगढ़ जिले के लमडांड पंचायत से वैजयंती सिदार (म) 87 वोटों के बहुमत से सरपंच चुनी गई। बिलासपुर जिले के पेण्ड्रा जनपद में ग्राम पंचायत सेवरा से चुरावनसिंह कुसराम सरपंच निर्वाचित हुए हैं। सरगुजा जिले के खैराडीह पंचायत में माकपा समर्थित 4 पंच, जराकेला में 3 और गुजरवाल व जमीरा पंचायत में एक-एक पंच निर्वाचित हुए हैं। बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ ब्लॉक के बांसडीह ग्राम पंचायत में 3 पंच चुने गए हैं। धमतरी जिले के झिरिया, भंवरमारा, कोलियारी तथा भटगांव ग्राम पंचायतों में माकपा समर्थित एक-एक पंच विजयी हुए हैं, इनमें 3 महिलाएं हैं। पंचायतों में माकपा के विजयी 57 जन प्रतिनिधियों में अधिकांश महिलाएं हैं और आदिवासी-दलित समुदाय व आर्थिक रूप से कमजोर तबकों से संबंधित हैं। माकपा राज्य समिति ने इन सभी विजयी प्रत्याशियों को बधाई दी है और संबंधित क्षेत्रों की जनता का आभार माना है। पार्टी ने कहा है कि जिन जगहों पर जल-जंगल-जमीन और खेती-किसानी की समस्याओं और विस्थापन के खिलाफ पार्टी और उसके संगठनों द्वारा जो आंदोलन छेड़े गए हैं, उसके नतीजों के रूप में ही पार्टी को पंचायतों चुनावों में विजय मिली है।