टिहरी, नागरिक मंच के पदाधिकारियों ने डीएम डा. वी. षणमुगम से मुलाकात कर जनहित से सम्बंधित पत्र सौंपकर जनसमस्याओं के त्वरित निदान की मांग की। पत्र के माध्यम से जिलास्तरीय कार्यालयों को नरेंद्रनगर से मुख्यालय लाने, सीवर व जलशुल्क देयक समाप्त करने व पीपीपी मोड के कारण बदहाल हुये जिला अस्पताल की व्यवस्थायें सुधारने की मांग की।
नागरिक मंच के उपाध्यक्ष कमल सिंह महर, सचिव चंडी प्रसाद डबराल, करम सिंह तोपवाल, किशोरी लाल, नरोत्तम जखमोला आदि ने डीएम से मुलाकात कर उन्हें सौंपे पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि जिला मुख्यालय नई टिहरी 1988-89 में घोषित हुआ। जिला बनने के 30 साल बाद भी कृषि, पशुपालन, सहकारिता, उद्योग, पंचायत, उरेडा व आयुर्वेद जैसे अहम कई जिलास्तरीय कार्यालय आज भी नरेंद्र नगर में संचालित हो रहे हैं। जिसके कारण टिहरी के अन्य विकासखंड के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिन्हें तत्काल जिला मुख्यालय लाया जाय। नई टिहरी जिला मुख्यालय की स्थापना सारज्यूला पट्टी के ग्राम कुलणा, मौलधार व बौराड़ी की भूमि पर हुई जो पूर्ण रूप से विस्थापित हैं। लेकिन जल संस्थान विस्थापित और गैर विस्थापित में बांटने का काम कर सीवर व जलशुल्क देयक दिये जा रहे हैं। जो पुनर्वास नीती व मानवीय आधार के विरूद्ध हैं। जिसका नागरिक मंच विरोध करता है। नई टिहरी वासियों को सीवर व जलशुल्क देयक पूरी तरह से माफ किये जायें। पीपीपी मोड पर जिला अस्पताल की बदहाल व्यवस्थाओं को सुधारने की मांग करते हुये नागरिक मंच ने बताया कि एमओयू को ताक पर रखकर अस्पताल में डाक्टरों व सुविधाओं की भारी कमी बनी हुई है। अस्पताल की व्यवस्थायें दुरुस्त की जाय। नई टिहरी की आंतरिक सड़कों की बदहाली पर भी नागरिक मंच ने रोष जाहिर किया है। नगर में बढ़ते आवारा पशुओं को लेकर भी उन्होंने डीएम से कार्यवाही मांग की है।