शाहीनबाग के आंदोलनकारियों द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान के बहिष्कार वाले निर्णय पर प्रतिक्रियाओं के दौर में हमारे अति सम्मानित माननीय विधायक जी भी कूद पड़े और दिल्ली पुलिस से अपील कर रहे हैं कि मतदान के दिन पूरे शाहीनबाग को छावनी में तब्दील कर दिया जाय ताकि कोई जबर्दस्ती मतदान के लिए न ले जाया जा सके ।
ज़नाब आप एक देवस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, अपने पद का सम्मान न सही उस देवता के मान का ही ध्यान रख लिया होता ।विधायक जी जिस लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली के बहिष्कार का आप समर्थन करते दिखाई दे रहे हैं, आप कैसे भूल गए कि आप का हालिया रुतबा भी उसी चुनाव प्रणाली की पैदाइश है ।
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महोदय जिस प्रदेश की एक विधानसभा से विधायक होने का सुख आप ऐशोआराम के साथ जी रहे हैं वो प्रदेश भी एक आन्दोलन की देन है, ऐसे आंदोलन की जिसमें कई पिताओं ने अपने बूढ़े कंधों पर अपने जवान बेटों की लाशों को ढोया है । उसी प्रदेश के लिए जहां आज भी कुछ आंदोलनकारी स्थायी राजधानी गैरसैण के लिए लड़ाई लड़ रहा है।
लेकिन आपको आपको वो सब नज़र नहीं आएगा आपको नजर आएगा तो बस वोटों गिनती का खेल । शाहीनबाग में बैठा हर आंदोलकारी और उसका परिवार रिश्तेदार वोट डालने नहीं जाएगा तो उसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा क्योंकि जाहिर तौर पर वो बीजेपी का वोटर नहीं है ।
अच्छा होता कि अगर आप एक बार अपने गृहमंत्री से अपील करते कि शाहीनबाग़ में बैठी महिलाओं और लोगों से चर्चा करने उनकी समस्या को सुनने वे जाएं…. और उन्हें धरने से उठाएं । लेकिन नहीँ। और ये वाला निर्णय आपकी बुद्धि में तुरंत जगह बना गया क्योंकि खेल वोटों की गिनती का जो था।
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ऐसे नासमझी भरे बयान सुनकर दुःख होता है कैसे कैसे नमूने चुनकर भेजे हैं हमने विधानसभा में । शाहीनबाग के लोगों की समस्या जायज़ है या नजायज यह अलग विषय है । लेकिन एक लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली से चुनकर सदन तक पहुंचे जन प्रतिनिधि का उसी चुनाव प्रणाली का बहिष्कार करने के समर्थन का बयान देना बिल्कुल गैरजिम्मेदाराना है ।
साभार – Vinay K D की वाल से