मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने संसद में आज पेश बजट को कॉर्पोरेट क्षेत्र को राहत देने और आम जनता पर कहर ढाने वाला बजट करार दिया है। पार्टी ने कहा है कि इस बजट में आर्थिक मंदी से जूझ रही अर्थव्यवस्था, कृषि संकट झेल रहे किसानों, औद्योगिक बदहाली से तंगहाल उद्योगों और बेरोजगारी से त्रस्त युवाओं के लिए कुछ भी नहीं है। वास्तव में तो दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के लिए, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में वास्तविक आबंटन में तो पिछली बार की तुलना में कटौती ही की गई है। कुल मिलाकर यह बजट देश में आर्थिक असमानता को और चौड़ा करेगा।
बजट पर यहां जारी एक प्रतिक्रिया में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि पिछले बजट में किये गए वादों पर यह सरकार मौन है और पूरे बजट में बेरोजगारी के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है। असंगठित क्षेत्र में न्यूनतम मजदूरी के बारे में विभिन्न आयोगों की और फसलों के समर्थन मूल्य के बारे में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए यह सरकार तैयार नहीं है। आंगनबाड़ी कर्मियों का वेतन बढ़ाने के बजाए उन पर काम का बोझ बढ़ाने के लिए उनके हाथों में मोबाइल थमाने की घोषणा की गई है। बड़ी चालाकी के साथ नए आयकर स्लैब को राहत के रूप में पेश किया जा रहा है, जबकि यह मध्यमवर्गीय कर्मचारियों की जेब को पुराने स्लैब की तुलना में निचोड़ने वाला ही साबित होगा।
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माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि इस बजट में निजीकरण और विनिवेशीकरण की जो खुराक पेश की गई है, उससे स्पष्ट है कि मोदी सरकार आम जनता के प्रति अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए तैयार नहीं है। जीवन बीमा निगम को बेचने और स्वास्थ्य क्षेत्र का पीपीपी मॉडल के जरिये निजीकरण करने की मुहिम से आम जनता का जीवन पूरी तरह से बर्बाद होगा।
उन्होंने कहा कि बजट में इस सरकार ने विकास के ढपोरशंखी दावे करते हुए महंगाई और गरीबी कम करने की जो बातें कही गई है, सरकारी एजेंसियों के सर्वे और आम जनता का अनुभव ही उसका समर्थन नहीं करते। देश में व्याप्त मंदी से उबरने के लिए आम जनता की क्रयशक्ति बढ़ाने की जरूरत है, लेकिन इस सरकार ने इस देश की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा के बजट में ही पिछले वर्ष के अपर्याप्त बजट की तुलना में 9500 करोड़ रुपयों की कटौती कर दी है। कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास के वास्तविक बजट में भी भारी कटौती की गई है। दरअसल यह सरकार अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से ही पूरी तरह मुकरने की कोशिश कर रही है। यही कारण है कि सेंसेक्स में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
माकपा नेता ने कहा कि जीडीपी में 10% वृद्धि के दावे के बावजूद पूरा यह सरकार देश को रोजगारहीन विकास के रास्ते पर धकेल रही है, जो कार्पोरेटों के मुनाफों को तो बढ़ाएगा, लेकिन आम जनता के जीवन स्तर में और गिरावट ही लाएगा।
माकपा ने कहा है कि इस बजट के जनविरोधी प्रस्तावों पर अमल का हर कदम पर विरोध किया जाएगा और सड़कों पर आम जनता को लामबंद किया जायेगा।