मोदी सरकार का बजट पूरी तरह हवा-हवाई है,
जिसमें देश की परिसंपत्तियों को बेचने और कॉरपोरेट घरानों के मुनाफे को बढ़ाने के ही उपक्रम किये गए हैं.
एल आई सी और आई डी बी आई में अपनी हिस्सेदारी बेचने का ऐलान वित्त मंत्री ने बजट में किया है. इससे पहले एयर इंडिया, भारत पेट्रोलियम, कंटेनर कारपोरेशन,टी एच डी सी आदि बेचने का फैसला सरकार ले ही चुकी है, रेलवे के निजीकरण की दिशा में भी सरकार तेजी से बढ़ रही है,1000 रेलवे ट्रैक के निजीकरण की सरकार की योजना है. कुल मिल कर देश की तमाम परिसंपत्तियों को बेचना इस सरकार का एजेंडा है.
जिस पी पी पी मॉडल का जाप बजट में बार-बार किया गया है, वह दरअसल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर निजी पूंजी के मुनाफे का मॉडल है, जिसमें आम जनता के हिस्से लुटना ही हएगा.वित्त मंत्री ने घोषणा की कि हर जिला अस्पताल को पी पी पी मोड पर मेडिकल कॉलेज बनाया जाएगा.पी पी पी मोड पर अस्पताल चलाने का अनुभव बेहद खराब और पूरी तरह से विफल रहा है. पहाड़ के अस्पतालों के संदर्भ में उक्त घोषणा को देखें तो जिन जिला अस्पतालों में डॉक्टर तक पूरे नहीं हैं, उनमें मेडिकल कॉलेज चलाने लायक मानव संसाधन कैसे पूरा होगा?यह सिर्फ कपोल कल्पना ही प्रतीत होती है.
कॉर्पोरेटों को राहत और आम जनता पर कहर ढाने वाला बजट : माकपा
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि वंचित तबकों के बच्चों को गुणवत्ता परक शिक्षा के लिए पूर्ण कालिक ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम शुरू किया जाएगा.देश के अधिकांश हिस्सों में मोबाइल कनेक्टिविटी की ही हालत लचर है. ऐसे में ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम सिर्फ सुनने में आकर्षक लग सकता है.इस घोषणा का दूसरा आशय यह है कि शिक्षा से वंचित हिस्सों के लिए बेहतर शिक्षा के लिए ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है.
गरीबी,बेरोजगारी, मंहगाई, किसानों की दुर्दशा सुधारने के लिए बजट में कुछ नहीं है. यह बजट उस 1 प्रतिशत का ही लाभ सुनिश्चित करता है, जिनके पास देश के 70 प्रतिशत लोगों से चार गुना ज्यादा संपत्ति है.
इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव
भाकपा(माले)