देहरादून, उत्तराखंड के सूदूर अंचलों के आखरी व्यक्ति और छात्र तक विज्ञान शिक्षा के प्रचार-प्रसार हेतु प्रतिबद्व उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान केन्द्र द्वारा यूसर्क संस्थान में अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस संयुक्त राष्ट्र की थीम- बैलेंस फाॅर बैटर यानि बेहतरी के लिए संतुलन की थीम पर दुनिया की आम औरतों को समर्पित करते हुए मनाया गया।
यूसर्क निदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने महिला दिवस की बधाई देते हुए कहा कि समाज की बेहतरी के लिए हर क्षेत्र में संतुलन जरूरी है। अब वक्त आ गया है कि हम हर मुकाम पर आधी आबादी के योगदान को पूरी गरिमा और सम्मान के साथ स्वीकारें। विज्ञान, तकनीकी और संचार क्रांति के इस युग में हमारी कोशिश होनी चाहिए कि गांव की आखरी औरत को भी तकनीकी का पूरा-पूरा फायदा मिले और दुनिया में उपलब्ध हर ज्ञान और जानकारी तक उसकी पहुंच हो। यूसर्क अपनी छोटी सी वैज्ञानिक टीम के साथ तकनीकी विकास से जुड़ी हर जानकारी को गांवों तक पहुंचाने के काम में लगा है। प्रोफेसर पंत ने कहा कि मैं दुनिया की हर क्षेत्र की उत्कृष्ट महिलाओं को नमन करता हूं जो बिना थके हुए हमारे जीवन और इस दुनिया को अर्थपूर्ण बनाने के काम में चुपचाप संलग्न हैं।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता जूलोजिकॅल सर्वे आॅफ इंडिया की वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. अर्चना बहुगुणा ने कहा कि समाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षणिक हर क्षेत्र में महिला एवं पुरूषों का प्रतिनिधित्व बराबरी का होना चाहिए। जब तक आधी आबादी को सही प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा तब तक सामाजिक असंतुलन खत्म नहीं हो सकता और ना ही विकास की सही ईबारत लिखी जा सकती है। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि लड़कियों को पढ़ाइ्र्र लिखाई के बराबर के मौके मिलें। हमें स्कूलों में लड़कियों का प्रतिशत बढ़ाकर सामाजिक भेदभाव की जड़ पर प्रहार करना होगा क्योंकि शिक्षा ही समानता के रास्ते खोलती है। इस पर मंथन करके हमें इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
शिक्षाविद कमला पंत ने कहा कि लैंगिक समानता वक्त की मांग है। हम यह ध्यान रखें कि महिलाओं के प्रति किसी भी तरह के भेदभाव के बुनियादी कारण हमारे सामाजिक ढ़ांचें में ही मौजूद हैं। हमें हर तरह से मिल जुलकर इस पितृसत्तात्मक ढ़ांचें पर चोट करनी होगी। धन्यवाद ज्ञापन में डा. ओ.पी.नौटियाल ने कहा कि देश की प्रगति में औरतों के महत्वपूर्ण योगदान और भागेदारी को सही पहचान देने का समय आ गया है। कार्यक्रम में चित्रांचल समिति के इंदुभूषण कोचगबे, डा. एम.एन.जोशी, कुसुम रावत, अुनराधा ध्यानी, शिवानी पोखरियाल, डा. राजेन्द्र राणा, डा. भवतोष शर्मा आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डा. मंजू सुंदरियाल ने किया।