देश में स्कूली शिक्षा को डिजिटल माध्यमों से छात्रों तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। केंद्र सरकार यह बदलाव बड़े व व्यापक स्तर पर करने की योजना बना चुकी है। इस योजना का लाभ देश के लगभग सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को पहुंचाया जाएगा।
खास बात यह है कि शिक्षा का यह डिजिटल अवतार न केवल शहरी छात्रों बल्कि ग्रामीण एवं दूर दराज के क्षेत्रों में पढ़ रहे छात्रों के लिए भी तैयार किया जा रहा है।
स्कूली शिक्षा को डिजिटल बनाने के अभियान में अधिकांश पाठ्य सामग्री को ई कंटेट में तब्दील किया जा रहा है। ई-पाठशाला, नेशनल रिपोजिटरी ऑफ ओपन एजुकेशन रिसोर्सेस, स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निग फोर यंग एस्पारिंग माइंड यानी स्वयम जैसे वेब पोर्टलों को शामिल किया गया है। इनके माध्यम से डिजिटल पाठ्य पुस्तकें और अन्य शिक्षा सामग्री का डिजटलीकरण किया गया है। इन्हें छात्र कंप्यूटर व इंटरनेट के माध्यम से पढ़-सुन सकते हैं। साथ ही क्लासरूम में भी इनका अध्यन डिजिटल बोर्ड पर करवाया जाएगा।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के मुताबिक, शिक्षा को डिजिटल बनाने के उद्देश्य से ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड के तहत विशेषज्ञों की समिति गठित की गई थी। इस समिति ने अब अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी है। इस रिपोर्ट में डिजिटल शिक्षा से जुड़ी कार्य व्यवस्था, वित्तीय प्रणालियों को परिभाषित करने वाले संकल्पना नोट और दृष्टिकोण पत्र तैयार करने को लेकर दी गई सिफारिशें हैं।
केंद्र सरकार जहां एक ओर छात्रों को उनकी सुविधा के मुताबिक डिजिटल पाठ्य सामाग्री मुहैया करा रही है। वहीं शिक्षकों को भी डिजिटल बोर्ड व ई-कंटेट पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। निशंक का कहना है कि शिक्षकों को ट्रेनिंग में हार्डवेयर टेक्नॉलोजी मॉनीटरिंग, ई-कंटेट उपयोग तथा ऑनलाइन परीक्षा का मूल्यांकन करने जैसा विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
निशंक ने बताया कि सरकार ने टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल करने हेतु राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी अलायंस यानी नीट योजना भी शुरू की है। यह योजना शिक्षा को विद्यार्थियों की उम्मीदों के अनुसार सुविधाजनक व कस्टमाइज्ड बनाने के लिए काम कर रही है। इस काम में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग किया जा रहा है।