हम जान गये’ नाटक के तहत इस बार हम जानने का प्रयास करेंगे कि क्या आस्था और अंधविश्वास में आपस में कोई रिश्ता है? काली बिल्ली के रास्ता काटने का, घर से बाहर निकलने पर छींकने से डर जाना, बुरी नज़र से बचाने के लिए बच्चों को काला टीका लगाना, घर के आगे मटकी लगाना, नीबू मिर्च दरवाजे पर टांगना, ग्रहण पर कुछ न खाना-पीना जैसी न जाने कितनी ही बातें है जो दैनिक जीवन में शामिल तो हैं लेकिन जिनका तर्क से कोई रिश्ता नहीं?

किस तरह के चमत्कार देखने को मिलेंगे देखिये वीडियो 

समस्त सीखने-सिखाने वालों विशेषकर शिक्षक साथियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की दिशा में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन और दून साइंस फोरम मिलकर ‘मिथक, अंधविश्वास और विज्ञान’ श्रृंखला का आयोजन पिछले काफी समय से करते आ रहे हैं। अभी तक इस श्रृंखला के अंतर्गत तीन सेमिनार आयोजित किये जा चुके हैं। इस बार इस श्रृंखला को आगे बढ़ाने हेतु हम एक नाटक ‘हम जान गये’ का आयोजन कर रहे हैं जिसके अंतर्गत समाज में व्याप्त रूढ़ियों, अंधविश्वास, मिथक आदि पर विचार मंथन होगा। आप सभी से अनुरोध है कि इस नाटक को देखने और इस पर अपने विचार और अनुभव रखने हेतु आप अपने साथियों व परिवार सहित जरूर आयें।

लेखक : सुरेन्द्र भंडारी, संवाद : त्रिलोचन भट्ट, निर्देशन : सुरेन्द्र भंडारी, गीत : सुरेन्द्र भंडारी सह निर्देशक : सतीश धौलाखंडी, विज्ञान सहयोग : विजय भट्ट, परिकल्पना : सतीश धौलाखंडी

प्रस्तुति : जन संवाद समिति उत्तराखण्ड
पात्र:
थोकदार : सतीश धौलाखण्डी, सामाजसेवी : त्रिलोचन भट्ट, तांत्रिक साधु : आयुष चौधरी ग्रामीण : कुसुमलता कन्नौजिया, सुमन काला, सोनाली नेगी, दीक्षा भट्ट, अभिषेक शेरंग, आयुष कुमार

समय : प्रातः 10 से 1 बजे तक | दिनांक 24 नवम्बर 2019
स्थान : राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, राजपुर रोड, देहरादून