मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर क्षेत्र के पोटाली गांव में एसटीएफ कैम्प लगाने का विरोध कर रहे ग्रामीणों के आंदोलन पर बर्बर पुलिसिया दमन की तीखी निंदा की है और इस इलाके से कैम्प हटाने की मांग की है।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने आरोप लगाया है कि पेसा कानून के तहत आदिवासियों की सहमति के बिना यह पोटाली कैम्प उनके कब्जे वाली वन व राजस्व भूमि पर स्थापित किया जा रहा है, जैसा कि पूरे बस्तर में किया गया है। इस कैम्प में भी उन आत्मसमर्पित नक्सलियों को तैनात किया गया है, जो ग्रामीणों को लूटने का काम करते रहे हैं। आदिवासियों में पनपे इस असंतोष और उन पर हमलों के लिए सरकार सीधे जिम्मेदार है।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि यह कैम्प ग्रामीणों को नक्सलियों से सुरक्षा देने के लिए नहीं, यहां के खनिज की कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ आदिवासियों के प्रतिरोध को कुचलने के लिए लगाया जा रहा है। पिछले तीन दिनों से सुरक्षा बलों द्वारा उन पर लगातार हमले किये जा रहे हैं और उन्हें अवैध रूप से गिरफ्तार किया जा रहा है। पोटाली के बाद अब बुरगुम में आदिवासियों पर हमलों की घटना सामने आई है। उन्होंने कहा कि जहां ग्रामीण वास्तव में नक्सलियों से सुरक्षा मांगते हैं, वहां तो शासन उन्हें अपने हाल पर छोड़े हुए हैं और नामा कोलेंग गांव में वे टंगिया गैंग बनाकर खुद अपनी रक्षा खुद कर रहे हैं।
माकपा ने दोषी पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने और दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को हटाने की भी मांग की है, जो आदिवासियों के विरोध को बर्बरता से कुचलने के लिए जिम्मेदार है। इस बर्बरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आदिवासियों पर लाठी-गोलियों, आंसू गैस के गोलों औऱ मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया जा रहा है। माकपा ने बस्तर में आदिवासी वनाधिकार कानून के अनुसार सभी आदिवासियों को व्यक्तिगत व सामूहिक उपभोग के लिए पट्टे देने की भी मांग की है।
संजय पराते